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Thursday, April 18, 2013

शराब पीना सब ..

शराब पीना सब चाहते है लेकिन कलेजा जलाने की हिम्मत सब में नहीं होती ।

जिसे तुम संसार कहते हो ना, वो दो ही काम करता है, सिर्फ दो काम| वो तुमको शराब पीने के अड्डे देता है, और वो तुमको नैतिकता का पाठ देता है| शराब पीने के अड्डों में शराब परोसी जाती है, और नैतिकता के पाठों में तुम्हें बताया जाता है कि शराब पीना गलत है| जब तुम शराब पीते हो तो तुम तो अपना नुकसान करते ही हो| किस रूप में? कि तुम बेहोश होते हो| और जब तुम्हें नैतिकता के पाठ पढ़ाए जाते हैं, कि शराब पीना गलत है, तब तुम्हारा दुगना नुकसान होता है, क्योंकि तब तुम्हारा मन पछतावे और ग्लानि से भर जाता है, तुम्हें ये दिखाई देने लग जाता है कि मैं छोटा हूँ, मैं नाकाबिल हूँ, मैं अनैतिक हूँ| क्या तुम देख रहे हो कि तुम पर दो तरफ़ा वार किया जा रहा है? एक तरफ तो इसी दुनिया ने जगह जगह पर, हर कोने पर शराब के अड्डे खोले हुए हैं, दूसरी तरफ यही दुनिया तुम्हें स्कूलों में, कॉलेजों में, धर्म में ये सीखा रही है कि शराब पीना अनैतिक है| और दोनों ही तरीकों से मारे तुम ही जा रहे हो| दोनों ही तरीकों से नाश तुम्हारा ही हो रहा है|



क्या ऐसा नहीं हो सकता कि जीवन ऐसा हो, दुनिया ऐसी हो कि व्यक्ति को बेहोशी की ओर जाना ही न पड़े? तुम्हें जो नैतिकता पढ़ाई जाती है, जिसमें कहा जाता है कि शराब पीना गलत है, वो नैतिकता किसी काम की नहीं होती क्योंकि वो नैतिकता हज़ारों सालों से पढ़ाई जा रही है और हज़ारों सालों से शराबी पैदा हुए जा रहे हैं| अगर उस नैतिकता में दम ही होता तो वो कब की शराब को रोक देती| और जब मैं शराब कह रहा हूँ, तो मेरा आशय वो गिलास वाली शराब से नहीं है| इतना तो समझ ही रहे होगे ना? मेरा आश्य बेहोशी से है, वो सब कुछ जो तुम्हें बेहोश करता है|

‘मोरल साइंस’ सबने पढ़ी है ना? और उसमें सत्तर बातें तुम्हें बताई गईं- ‘झूठ मत बोलो, चोरी मत करो, अपहरण मत करो, दुःख मत पहुँचाओ’| और दुनिया तुम देख रहे हो कैसी है? अगर उन बातों में दम ही होता तो दुनिया ऐसी क्यों होती? कभी तुम ये सवाल अपने आप से पूछते न हीं| कभी तुमको ये बात स्पष्ट होती नहीं| हर बच्चा किसी ना किसी के द्वारा तो पाला ही जाता है और जो भी उसे पालता है वो यही कहता है- ‘प्रेमपूर्ण जीवन जियो, हिंसा मत करो’| यही कहा जाता है ना? और दुनिया में चारो तरफ हिंसा ही हिंसा है, क़त्ल है और बलात्कार है| तुमने कभी देखना नहीं चाहा कि ये हो क्या रहा है?

ये संसार जब हमें इतनी ज़ोर-ज़ोर से बता रहा है कि लड़ो मत, मारो मत, तो ये इतने क़त्ल और चोरियाँ कहाँ से आ रहे हैं? ये निर्मम बलात्कार कहाँ से हो रहे हैं? क्योंकि संसार तुम्हें ये दोनों ही चीज़ें दे रहा है, वो तुम्हें बेहोशी दे रहा है, और तुम्हें नैतिकता दे रहा है, पर तुम्हें समझ नहीं दे रहा है|
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पूजा कैसे की जाती है ?

ईश्वरोन्मुख होनेके बाद मनुष्यको परमात्माके वास्तविक तत्वक परिज्ञान होने लगता है और फिर वह सदा सर्वदाके लिये जीवमुक्त हो जाता है, इसीलिये सारे कर्म शास्त्रकी आज्ञाके अनुसार होने चाहिये ।

पूजा कुछ नही है किन्तु भगवान की आराधना है। आराधना का उद्देश्य भिन्न हो सकता है कुछ मोक्ष के लिये करते है कुछ धन्यवाद देने कें लिए करते है कुछ दैनिक व्यवहार के लिये करते है और परम्परा या कुछ डर को भगाने के लिये करते है।लेकिन हर एक पूजा कुछ पाने के लिये करते है।
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