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Monday, March 16, 2015

वेद पुराण का सारांश


ब्रह्म पुराण
पुराणों की दी गयी सूची में इस पुराण को प्रथम स्थान पर रखा जाता है, इस पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति, पृथु का पावन चरित्र, सूर्य एवं चन्द्रवंश का वर्णन, श्रीकृष्ण-चरित्र, कल्पान्तजीवी मार्कण्डेय मुनि का चरित्र, तीर्थों का माहात्म्य एवं अनेक भक्तिपरक आख्यानों की सुन्दर चर्चा की गयी है। भगवान् श्रीकृष्ण की ब्रह्मरूप में विस्तृत व्याख्या होने के कारण यह ब्रह्मपुराण के नाम से प्रसिद्ध है।  इस पुराण में साकार ब्रह्म की उपासना का विधान है। इसमें 'ब्रह्म' को सर्वोपरि माना गया है। इसीलिए इस पुराण को प्रथम स्थान दिया गया है। पुराणों की परम्परा के अनुसार 'ब्रह्म पुराण' में सृष्टि के समस्त लोकों और भारतवर्ष का भी वर्णन किया गया है। कलियुग का वर्णन भी इस पुराण में विस्तार से उपलब्ध है।  ब्रह्म के आदि होने के कारण इस पुराण को आदिपुरण भी कहा जाता है। व्यास मुनि ने इसे सर्वप्रथम लिखा है। इसमें दस सहस्र श्लोक हैं। प्राचीन पवित्र भूमि नैमिष अरण्य में व्यास शिष्य सूत मुनि ने यह पुराण समाहित ऋषि वृन्द में सुनाया था। इसमें सृष्टि, मनुवंश, देव देवता, प्राणि, पुथ्वी, भूगोल, नरक, स्वर्ग, मंदिर, तीर्थ आदि का निरूपण है। शिव-पार्वती विवाह, कृष्ण लीला, विष्णु अवतार, विष्णु पूजन, वर्णाश्रम, श्राद्धकर्म, आदि का विचार है।
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Sunday, March 15, 2015

वेद पुराण है क्या ?

पुराण
पुराण, हिंदुओं के धर्मसंबंधी आख्यानग्रंथ हैं जिनमें सृष्टि, लय, प्राचीन ऋषियों, मुनियों और राजाओं के वृत्तात आदि हैं। ये वैदिक काल के काफ़ी बाद के ग्रन्थ हैं, जो स्मृति विभाग में आते हैं। भारतीय जीवन-धारा में जिन ग्रन्थों का महत्वपूर्ण स्थान है उनमें पुराण भक्ति-ग्रंथों के रूप में बहुत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। अठारह पुराणों में अलग-अलग देवी-देवताओं को केन्द्र मानकर पाप और पुण्य, धर्म और अधर्म, कर्म और अकर्म की गाथाएँ कही गई हैं। कुछ पुराणों में सृष्टि के आरम्भ से अन्त तक का विवरण किया गया है। इनमें हिन्दू देवी-देवताओं का और पौराणिक मिथकों का बहुत अच्छा वर्णन है।
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Thursday, March 12, 2015

शिव तांडव स्तोत्र

वह स्तोत्र जो आपको सबकुछ देगा

रावण रचित शिव तांडव स्तोत्र
 
॥ अथ रावण कृत शिव तांडव स्तोत्र ॥


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Wednesday, March 4, 2015

शैव मत (Shaivism)

शैव मत / शैव संप्रदाय

हिंदुओं के संप्रदाय माने गए हैं- शैव, वैष्णव, शाक्त, नाथ, वैदिक और चर्वाक। इसमें से चर्वाक संप्रदाय तो लुप्त हो गया लेकिन बाकी सभी संप्रदाय प्रचलन में हैं। सबसे प्राचीन संप्रदाय शैव संप्रदाय को ही माना जाता है। शैव मत का मूल रूप ॠग्वेद में रुद्र की आराधना में है। १२ रुद्रों में प्रमुख रुद्र ही आगे चलकर शिव, शंकर, भोलेनाथ और महादेव कहलाए। इनकी पत्नी का नाम है पार्वती जिन्हें दुर्गा भी कहा जाता है। शिव का निवास कैलाश पर्वत पर माना गया है। इनके पुत्रों का नाम है कार्तिकेय और गणेश और पुत्री का नाम है वनमाला जिन्हें ओखा भी कहा जाता था।
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Monday, March 2, 2015

मन की बात

बात उन दिनों की है जब मै शायद क्लास ७-८ में पड़ता था.. पापा बड़ी बुवा के यहाँ लखनऊ गए थे , घर में हम संजू टूसी और अम्मा... पापा के लखनऊ जाने के ४-५ दिन बाद माता जी ने पिता श्री का हाल खबर 
लेने की लिए मुझे २० रूपया दिया , इन दिनों संचार के साधन बहुत महगे थे , अपने चौराहे पर तो कोई फोन बूथ भी नहीं था , उन दिनों घर में लैंड लाइन फोन एक स्टेटस सिम्बल होता था , अपने घर में भी फोन नहीं था , तो मै २० रूपए ले कर नाटी इमली चौराहे पर काशी के दुकान पर गया , काशी को २० का नोट दे कर बुवा के घर का नंबर लगाने को कहा , फोन की घंटी गयी , उधर से किसी ने उठा , मैंने कहा , मै काटन मिल से राजू बोल रहा हु , मेरे पापा से बात करा दीजिये, पापा लाइन पर आये ..” पापा हम राजू बोलत हई..., कब घरे अइबा , अम्मा पूछत हइन ... उधर से पापा.... “ हा बोलो बेटा , कैसे हो तुम, घर में सब लोग कैसे है, मै
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Sunday, March 1, 2015

हमारे धर्म का आधार शैव मत

माता जी की तीर्थ यात्रा में धर्म से सम्बंधित जानकारी खंगालने पर पता चला की वेदान्त सिद्धान्त हमारे जीवन का आधार है। सिद्वान्त हमारी संस्कृति की आत्मा है। वेदान्त का उदघोष है- ब्रम्हा ही जीव बन गया है। ब्रम्ह ही जगत बन गया है। 
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