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Thursday, April 27, 2017

मदर्स डे (मातृ दिवस)

आज नेपाली बैशाख महिना का आमवस्या (वैशाख कृष्णऔँसी ) मतलब माता जी का मुख देखने का दिन, नेपाल का त्यौहार मुझे बहुत अच्छा लगता है , बस इसके पीछे एक सिंपल लोजिक है की माँ ने नौ महिनातक अपने गर्भ में रख कर जन्म दिया है


इस सम्मान में आज ये त्यौहार मनाया जाता है जिसे नेपाली में कहा जाता है “आमाको मुख हेर्ने दिन”
नेपालमें हिन्दू संस्कृति अनुसार इस दिन अपने जन्म दिए माँ के दर्शन हेतु बच्चे आते है जो बहार रहते है या जो माँ बाप के साथ ही रहते है इस दिन माँ के पसंद का खाना और माँ के पसंद के  उपहार देने की प्रथा है, यथा शक्ति अनुसार और जिनकी माँ जीवित नहीं होती, वो काठमांडू शहर के पश्चिम दिशा की तरफ थानकोट जाने वाले रस्ते में गुर्जू धारा के ऊपर पहाड़ो के बिच में “माता तीर्थ कहा जाता है, वहा एक कुंड है, जहा स्नान करने के बाद बच्चे अपनी माता जी के मुक्ति की कामना के लिए तर्पण करते है. जैसे अपने भारत में लोग बनारस या हरिद्वार जाते है लोग कहा जाता है की माता तीर्थ के कुंड में सच्चे मन से देखा जाये तो अपनी माँ की तस्वीर दिखती है , माँ के दर्शन किये जा सकते है और दिवंगत माँ प्रस्सन हो कर आशीर्वाद देती है सुख और सम्म्प्नता के लिए अच्छा लगता है ये त्यौहार नेपाल में हमने तो कभी सुना देखा तो नहीं था, पहली बार हमने नेपाल में ही सुना “आमा मुख हेर्ने”



अभी ४-५ सालो से भारत में भी मदर्स डे मनाया जा रहा है, वैसे ये मदर्स डे ग्राफटन वेस्ट वर्ज़िनिया में एना जॉर्विस द्वारा माताओं और उनके मातृत्व के लिए आरंभ किया गया था. इसका उद्देश्‍य मां को उसके प्रेम और समर्पण के प्रति सम्‍मान देना था. यह दिन विश्‍व के हर कोने में अलग-अलग तरीके से मनाया जाता हैं. कहते हैं कि इस दिन की शुरूआत पुराने ग्रीस से हुई थी. स्य्बेले ग्रीक देवताओं की मां थीं, उनके सम्मान में ही यह दिन मनाया जाता था.

इंग्लैंड में 17वीं शताब्दी में लेंट यानि 40 दिनों के उपवास के दौरान चौथे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता था. इस दिन चर्च में प्रार्थना के बाद बच्चे अपने अपने घर फूल या उपहार लेकर जाते हैं. यूरोप और ब्रिटेन में मां के प्रति सम्मान दर्शाने की कई परंपराएं प्रचलित हैं. उसी के अंतर्गत एक खास रविवार को मातृत्व और माताओं को सम्मानित किया जाता था. जिसे मदरिंग संडे कहा जाता था.

अमेरिका में सबसे पहले मदर डे प्रोक्लॉमेशन जुलिया वॉर्ड होवे ने मनाया था. होवे नारीवादी थीं. उनके अनुसार महिलाओं या माताओं को राजनीतिक स्तर पर अपने समाज को आकार देने का संपूर्ण दायित्व मिलना चाहिए.

चीन में मातृ दिवस बेहद लोकप्रिय है और इस दिन उपहार के रूप में गुलनार के फूल सबसे अधिक बिकते हैं. 1997 में चीन में यह दिन गरीब माताओं की मदद के लिए निश्चित किया गया था. खासतौर पर उन गरीब माताओं के लिए जो ग्रामीण क्षेत्रों, जैसे पश्चिम चीन में रहती हैं.

कुल मिला जुला के कहे तो ये एक विदेशी संस्कार है लेकिन अब भारत में भी लोग फेसबुक पर मदर डे को विश करने लगे है

शायद किसी भी औलाद के लिए ये मदर डे एक बहुत ही खास दिन होता है। हर वो लोग जो लोग अपनी माँ को बहुत प्यार करते हैं और उनका सम्मान करते है वो इस पूज्य दिन को विभिन्न तरह से मनाते हैं। ये वो दिन है की जिसे दुनिया की सभी माँ को समर्पित किया जाता है।

भारत में इसे हर साल मई के दूसरे रविवार को देश के लगभग हर क्षेत्र में मनाया जाता है। पूरे भारत में आज के आधुनिक समय में इस उत्सव को मनाने का तरीका बहुत बदल चुका है। ये अब समाज के लिये बहुत बड़ा जागरुकता कार्यक्रम बन चुका है। सभी अपने तरीके से इस उत्सव में भाग लेते हैं और इसे मनाते हैं। विविधता से भरे इस देश में ये विदेशी उत्सव की मौजूदगी का इशारा है। ये एक वैश्विक त्योहार है जो कई देशों में मनाया जाता है।

समाज में एक विशाल क्रांति कम्प्यूटर और इंटरनेट जैसी उच्च तकनीक ले आयी है जो आमतौर पर हर जगह दिखाई देता है। आज के दिनों में, लोग अपने रिश्तों के बारे में बहुत जागरुक रहते हैं और इसे मनाने के द्वारा सम्मान और आदर देना चाहते हैं। भारत एक महान संस्कृति और परंपराओं का देश है जहाँ लोग अपनी माँ को पहली प्राथमिकता देते हैं। इसलिये, हमारे लिये यहाँ मातृ दिवस का उत्सव बहुत मायने रखता है। ये वो दिन है जब हम अपनी माँ के प्यार, देखभाल, कड़ी मेहनत और प्रेरणादायक विचारों को महसूस करते हैं। हमारे जीवन में वो एक महान इंसान है जिसके बिना हम एक सरल जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। वो एक ऐसी व्यक्ति हैं जो हमारे जीवन को अपने प्यार के साथ बहुत आसान बना देती है।

इसलिये, मातृ दिवस के उत्सव के द्वारा, हमें पूरे साल में केवल एक दिन मिलता है अपनी माँ के प्रति आभार जताने के लिये। उनके महत्व को समझने के द्वारा ये खुशी मनाने का दिन है और उन्हें सम्मान देने का है। एक माँ एक देवी की तरह होती है जो अपने बच्चों से कुछ भी वापस नहीं पाना चाहती है। वो अपने बच्चों को केवल जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाना चाहती हैं। हमारी माँ हमारे लिये प्रेरणादायक और पथप्रदर्शक शक्ति के रुप में है जो हमें हमेशा आगे बढ़ने में और किसी भी समस्या से उभरने में मदद देती है।


अब तो हर जगह माँ के महत्व और इस उत्सव के बारे में उन्हें जागरुक बनाने के लिये बच्चों के सामने इसे मनाने के लिये शिक्षकों के द्वारा स्कूल में मातृ दिवस पर एक बड़ा उत्सव आयोजित किया जाता है। इस उत्सव का हिस्सा बनने के लिये खासतौर से छोटे बच्चों की माताओं को आमंत्रित किया जाता है। इस दिन, हर बच्चा अपनी माँ के बारे में कविता, निबंध लेखन, भाषण करना, नृत्य, संगीत, बात-चीत आदि के द्वारा कुछ कहता है। कक्षा में अपने बच्चों के लिये कुछ कर दिखाने के लिये स्कूल के शिक्षकों के द्वारा माताओं को भी अपने बच्चों के लिये कुछ करने या कहने को कहा जाता है। आमतौर पर माँ अपने बच्चों के लिये नृत्य और संगीत की प्रस्तुति देती हैं। उत्सव के अंत में कक्षा के सभी विद्यार्थियों के लिये माताएँ भी कुछ प्यारे पकवान बना कर लाती हैं और सभी को एक-बराबर बाँट देती हैं। बच्चे भी अपनी माँ के लिये हाथ से बने ग्रीटींग कार्ड और उपहार के रुप में दूसरी चीजें भेंट करते हैं। इस दिन को अलग तरीके से मनाने के लिये बच्चे रेस्टोरेंट, मॉल, पार्क आदि जगहों पर अपने माता-पिता के साथ मस्ती करने के लिये जाते हैं।

ईसाई धर्म से जुड़े लोग इसे अपने तरीके से मनाते हैं। अपनी माँ के सम्मान के लिये चर्च में भगवान की इस दिन खास पूजा करते हैं। उन्हें ग्रीटिंग कार्ड और बिस्तर पर नाश्ता देने के द्वारा बच्चे अपनी माँ को आश्चर्यजनक उपहार देते हैं। इस दिन, बच्चे अपनी माँ को सुबह देर तक सोने देते हैं और उन्हें तंग नहीं करते साथ ही उनके लिये लजीज व्यंजन बनाकर खुश करते हैं। अपनी माँ को खुश करने के लिये कुछ बच्चे रेडीमेड उपहार, कपड़े, पर्स, सहायक सामग्री, जेवर आदि खरीदते हैं। रात में, सभी अपने परिवार के साथ घर या रेस्टोरेंट में अच्छे पकवानों का आनन्द उठाते हैं।

परिवार के साथ खुशी मनाने और ढ़ेर सारी मस्ती करने के लिये बच्चों को इस दिन अच्छे से मनाने का पूरा मौका देने के लिये कुछ देशों में मातृ दिवस एक अवकाश होता है। ये सभी माँओं के लिये एक बहुत ही सुंदर दिन है, इस दिन उन्हें घर के सभी कामों और जिम्मेदारियों से मुक्त रखा जाता है।

लेकिन सही मात्री दिवस का मतलब है की आप कभी माँ के आख में आसू न देखे वो माँ है, चलो माँ के लिए उनकी वो उंगलिया बन जाय जो उसके मन की सारी गांठे खोल दे  एक मां अपने बच्चे के लिए क्या-क्या कर सकती है, करती भी हैं और बदले में आप अपनी मां के लिए क्या करते हैं ये मायने रखता है। बाकी मां को प्यार करने का ढोंग करने वालों की संख्या इतनी ज़्यादा है कि,मां भी थक-हार कर इन्हीं ढोंगियों से काम चलाती है। मां को सिर्फ मां भर समझना भयंकर नासमझी है, मां को एक औरत के नजरिए से भी समझने की जरूरत है। कैसे-कैसे हालातों में ये औरत काम करती हैं। इस औरत का एक ही लक्ष्य होता है, अपने बच्चों को बड़ा करना,और छोटे से बड़ा करने के बीच का संघर्ष ही मां कहलाता है।

इस समाज में ज्यादा संघर्ष गरीब मांओं के हिस्से आता है,वो भीख मांगने से लेकर चोरी करने तक, शरीर, जमीर से लेकर आत्मा तक अपने बेटों के लिए गंवाती हैं। इसकी संख्या आज भी बहुत ज्यादा है, इनके बारे में ज्यादा कुछ लिखा भी नहीं जाता

मैंने अपनी मां समेत सब मांओं को औरत की नजरिए से ही देखा है,मां  को समझने का मेरा यही दृष्टिकोण है। बाकी इस विषय पर कितना भी लिखा जाय कम है।और माँ के बारे में लिखना इतना आसान नहीं , भारत में १४ मई को पड़ रहा है आप कैसे मना रहे है मदर्स दे, अपना अनुभव साझा करे...


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