( 3 May 2016- Tuesday) आज की यात्रा थी तमिलनाडु का हिल स्टेसन “कोडईकनाल” भारत के तमिल नाडु राज्य में बसा एक शहर है। समुद्र तल से २१३३ मीटर ऊंचा तमिलनाडु का कोडईकनाल हिल रिजॉर्ट अपनी सुन्दरता और शान्त वातावरण से सबको सम्मोहित कर देता है। पाली हिल के बीच बसा यह जगह दक्षिण भारत का बेहद ही सुकून देने वाली हिल स्टेशन है। यहाँ की झीलें, आकर्षण दृश्य और ठंडी वादियां सचमुच किसी स्वप्न से कम नहीं लगती। मदुरै से कोडैकनाल सिर्फ १२० किलोमीटर दूर है
तो माता जी ने कभी हिल स्टेशन नहीं देखा था... इस लिए सोचा की माँ को उधर भी घुमा ले.. सुबह ६ बजे माता जी चिल्लाई उठ... केतने बजे बस आई.. बस फटा फट.. उठा.. २ चाय मगाया... कमरे के
बाहर एक लम्ब दंड चुसिका... ग्रहण कर चाय पी फ्रेश हो नहा धो ८ बजे नीचे उतर गए.. आधे घंटे बाद एक दूसरा बस वाला लिस्ट ले हमारे पास आया.. ले चले के लिए बस के पास, माँ को ले वहा पहुचे तो पहले से ही बहुत लोग इतजार कर रहे थे बस चलने का पूरी चिल्ला चिल्ली थी आखिरकार पूरे एक घन्टे प्रतीक्षा कराने के बाद बस वाला बस लेकर आगे बढ़ा। यहाँ बस वाले को तो हमने पैसे दिये नहीं थे जो उससे वापिस माँग करते, माँगते तो वह यही बात करता जिस एजेंट को हमने पैसे जमा करा कर रसीद ली थी वह ऑफिस बस चलने वाली जगह से लगभग एक किमी के करीब दूरी पर थी।, खैर बस और होटल से यात्रियों को ले अब मुख्य सड़क पर आ चुकी थी.. करीब 1 घंटे की यात्रा के बाद बस वाले ने ब्रेकफास्ट के लिए एक रेस्टुरेंट में रोका जहा हमने दबा कर नास्ता किया, नास्ते में माता जी के लिए एक स्पेसल रेसिपी दिखी... खाने में लाजवाब, तो पूछ ही लिया मनेजर से तो माता जी ने कभी हिल स्टेशन नहीं देखा था... इस लिए सोचा की माँ को उधर भी घुमा ले.. सुबह ६ बजे माता जी चिल्लाई उठ... केतने बजे बस आई.. बस फटा फट.. उठा.. २ चाय मगाया... कमरे के
“वाटे अप्पम रेसिपी” :-
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यदि आपको तेल के खाने से परेहज है तो इस वाटे अप्पम (Vatta Appam Recipe ) को अवश्य बनाईये. इसे बनाने का तरीका कुछ कुछ ढोकले की तरह है. लेकिन इसमें बेसन की जगह चावलों का प्रयोग होता है और इसमें चीनी भी मिलाई जाती है. आईये आज वाटे अप्पम (Vatta Appam Recipe ) बनायें.
• आवश्यक सामग्री :-
* चावल एक कप
* सूजी एक बड़ी चम्मच
* खमीर के दाने चौथाई छोटी चम्मच
* चीनी दो बड़े चम्मच
* नारियल एक
* नमक चौथाई छोटी चम्मच
* काजू, किशमिश बादाम चार चार
• विधि :-
चावल को तीन घंटे के लिये भिगो दें और इसे मिक्सी में एकदम बारीक पीस लें.
सूजी को एक कप पानी में डालकर लगभग पांच मिनट तक पका लीजिये और गैस से उतार कर ठंडा करने के लिये रख दें. एक कटोरी में आधा चम्मच चीनी, खमीर के दाने और एक बड़ा चम्मच गुनगुना पानी मिला कर घोल लें. अब पिसे हुये चावल, पकी हुई सूजी और खमीर के मिश्रण को अच्छी तरह मिला कर लगभग 8 घंटे के लिये रख दें ताकि इसमें खमीर उठ जाय. नारियल और चीनी को मिलाकर मिक्सी में एकदम बारीक पीस लें और इस फूले हुये मिश्रण में मिला दें. वाटे अप्पम (Vatta Appam) बनाने के लिये मिश्रण तैयार है.
गैस जला कर कुकर मे 2 गिलास पानी डाल कर रख दें और कुकर के सेपरेटर में थोड़ा सा घी लगादें. मिश्रण को सेपरेटर में फैला दें. फैले हुये मिश्रण की ऊंचाई लगभग एक इंच होनी चाहिये. इस मिश्रण के ऊपर काजू बादाम काट कर सजा दें सेपरेटर को कुकर में इस तरह रखे कि वह कुकर के तले को न छुए. कुकर बन्द कर दें लेकिन ढक्कन में सीटी नहीं लगायें. 15 मिनिट में यह बन जाता है. यह देखने के लिये कि यह पक गया है इसमें चाकू की नोंक गढ़ाकर देखिये. यदि बन गया है तो मिश्रण उससे चिपकता नहीं है.
कुकर से सेपरेटर को निकाल लें और 2 या 3 मिनिट बाद ठंडे होने पर चाकू की सहायता से उसे प्लेट में निकाल लें. आपका वाटे अप्पम (Vatta Appam) तैयार है. .. आप इसे नारियल चटनी के साथ खा सकते है....
शायद अब बस आगे पहाड़ी पर चड़ने वाली थी
अब कल की तरह ही बस में एक गाइड था जिसने सावधानी के लिए कुछ टिप दिए उसने बताया की यहां घूमने का मजा कुरिन्जी के खिलने के समय दोगुना हो जाता है। हालांकि यह फूल बारह साल में एक बार खिलता है। यहां के लोग कुरिन्जी के फूल को अपनी शान समझते है। जब यह खिलता है तो पहाड़ियों की सुंदरता देखते ही बनती है। और इसकी महक मदहोश कर देने वाली होती है। कोडईकनाल में प्रकृति की सुंदरता अपने तमाम रूपों में नजर आती है। विशाल चट्टान, शांत झील, फलों के बगीचे और यहां के हरे भरे दृश्य अपनी सुदंरता की कहानी कहते है। साथ ही यूकेलिप्टस और पाइन के जंगलों से आती स्वच्छ हवा यहां के वातावरण को सुगंधित और गुलजार बना देती हैं।
कोडईकनाल का उल्लेख ईसा पूर्व के तमिल संगम साहित्य में मिलता है। पलानी हिल्स के आसपास के क्षेत्र में उस समय पेलियन्स और पुलयन्स नामक आदिम जनजाति निवास करती थी। १८४५ ई. में अंग्रेजों ने यहां हिल स्टेशन स्थापित किया। ब्रिटिश प्रशासकों और मिशनरियों का यह पसंदीदा हिल स्टेशन था। वे गर्मियों में यहां अपना समय व्यतीत करते थे।
पहनावा : पारंपरिक तौर पर कोडाईकनाल में रहने वाले पुरुष लुंगी और शर्ट जिन्हें "अंगवस्त्र" के नाम से जाना जाता है पहनते हैं। आमतौर पर पुरुष पेंट-शर्ट पहनते हैं। इसके अलावा यहाँ की महिलाएं साड़ी पहनती हैं। यहाँ महिलाएं शादी के समय विशेष प्रकार के गहने पहनती हैं जिन्हें थलैसामान (Thalaisaamaan) कहते हैं।
खान-पान : कोडईकनाल में चॉकलेट, सैंडविच, ब्राउनींज (Brownies) और चाय ज्यादा लोकप्रिय है। इसके अलावा यहाँ पंजाबी और तिब्बती भोजन भी पसंद किया जाता है। तमिलनाडु में होने के कारण यहां साउथ इंडियन डिशेज जैसे इडली, सांभर, डोसा आदि भी पसंद किया जाता है।
कोडईकनाल (Kodaikanal) झीलों और पहाड़ियों की बेहतरीन खूबसूरती को खुद में समेटे हुए एक हिल स्टेशन है यहाँ का मनमोहक दृश्य, शांत एवं शुद्ध वातावरण न केवल पर्यटकों व प्राकृतिक प्रेमियों के लिएअच्छा है बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी बहुत उत्तम स्थान है। इसलिए इसका नाम कोडईकनाल (Kodaikanal) रखा गया है जिसका अर्थ है "प्रकृति का उपहार"। धरती से करीब २१३३ मीटर ऊंचाई पर स्थित कोडईकनाल में हरे-भरे वनों से घिरी झील, विभिन्न प्रकार की आकृति वाले ऊंचे- ऊंचे पहाड़, कलकल करते झरने, गुफाएं, संग्रहालय, फूलों के बगीचे वहा घुमने वालो के मन में अपना घर बना लेती हैं। गर्मी से बचने और यादगार पल बिताने के लिए यह सबसे श्रेष्ठ जगह है जहां अक्सर पर्यटकों की भीड़ लगी ही रहती है। कोडईकनाल अपनी मनोहर दृश्यों के साथ- साथ खान- पान और विशेष प्रकार के उत्सवों के लिए भी मशहूर है। कोडईकनाल की चाय, कॉफी और मसाले लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हैं। पोंगल और नात्यांजलि महोत्सव यहाँ बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है।
कोडईकनाल के अन्ना सलाई बाजार से पर्यटक कश्मीरी हस्तशिल्प, ज्वैलरी, शॉल, हड्डी और अखरोट की लकड़ी से बने सजावटी वस्तुएं खरीद सकते हैं। इसके अलावा एम्पोरियम पूम्पुहार से भी आप ब्रांडेड कपड़े और गहने खरीद सकते हैं। कोडईकनाल में खरीदने के लिए सबसे बेहतरीन चीज हाथ से बनी चॉक्लेट्स को माना जाता है जो यहां लगभग सभी बेकरी पर मिल जाती है। यहां कई प्रकार के ईत्र और सुगंधित वस्तुएं भी मिलती है जिनका इस्तेमाल ऐरोमाथैरेपी (Aromatherapy) के दौरान किया जाता है।
अब पहला दर्शन था हमारा
कुरिंजी अंदावर टेंपल
कोडैकनाल लेक से 3 किलोमीटर दूर कुरिंजी अंदावर टेंपल है जिसमें लॉर्ड मुरूगन की पूजा होती है। कुरिंजी का तमिल में मतलब पहाड़ी इलाका होता है और अंदावर का मीनिंग ईश्वर यानि कि भगवान होता है।
यहां लॉर्ड मुरूगन को पहाड़ों का देवता माना जाता है और इसिलिए इस मंदिर में इनकी पूजा की जाती है। साल 1936 में एक यूरोपियन महिला ने ये मंदिर बनवाया था, जिसने बाद में हिंदू धर्म भी अपनाया। इसके बाद उन्हें लेडी रामानाथन के नाम से जाना गया। यहां से पलानी की पहाडि़यों को देखकर काफी सकून मिलता है।
कोडैकनाल लेक से 3 किलोमीटर दूर कुरिंजी अंदावर टेंपल है जिसमें लॉर्ड मुरूगन की पूजा होती है। कुरिंजी का तमिल में मतलब पहाड़ी इलाका होता है और अंदावर का मीनिंग ईश्वर यानि कि भगवान होता है।
यहां लॉर्ड मुरूगन को पहाड़ों का देवता माना जाता है और इसिलिए इस मंदिर में इनकी पूजा की जाती है। साल 1936 में एक यूरोपियन महिला ने ये मंदिर बनवाया था, जिसने बाद में हिंदू धर्म भी अपनाया। इसके बाद उन्हें लेडी रामानाथन के नाम से जाना गया। यहां से पलानी की पहाडि़यों को देखकर काफी सकून मिलता है।
सिल्वर कासकेड
मदुरै से कोडैकनाल आते समय एक झरना मिलता है जो जमीन से 180 फीट उंचाई से गिरता है।कौडेकनाल लेक से ये करीब 8 किलोमीटर दूर है। जिसका नाम सिल्वर कासकेड झरना है। यहां आने पर झरने से आने वाली पानी की आवाज के अलावा शोर नहीं होता इसिलिए यहां पर आने वाले टूरिस्ट रिलैक्स करते हैं।
मदुरै से कोडैकनाल आते समय एक झरना मिलता है जो जमीन से 180 फीट उंचाई से गिरता है।कौडेकनाल लेक से ये करीब 8 किलोमीटर दूर है। जिसका नाम सिल्वर कासकेड झरना है। यहां आने पर झरने से आने वाली पानी की आवाज के अलावा शोर नहीं होता इसिलिए यहां पर आने वाले टूरिस्ट रिलैक्स करते हैं।
शेनबागानूर संग्रहालय :
यदि आप की रूचि वनस्पतियों और जीव-जंतुओं में है या आप अधिक ज्ञान बटोरने की इक्षा रखते है तो बेहतर जगह है आप के लिए कोडाइकनाल का Shenbaganur संग्रहालय..जिव विज्ञानं का जीता जगतासंग्रहालय ज्ञान वर्धक यात्रा के लायक है साथ ही बच्चों को साथ लाने के लिए एक अद्भुत अनुभव है, वे निश्चित रूप से पतंगों, सांप, तितलियों और स्तनधारियों की विभिन्न नमूनों को देख कर चकित हो जायेगे । बस स्टैंड से 6 kilometres (3.7 mi) की दुरी पर स्थित सं 1895 में स्थापित एक वनस्पतियों और जीव संग्रहालय है। संग्रहालय तितलियों, पतिंगे, सांप और स्तनधारियों की कई सौ नमूनों का एक संग्रह देखने को मिलता है साथ ही मानव विज्ञान की तस्वीरों को समझने का अवसर मिलता है जिसे मंगलवार छोड़कर सप्ताह के प्रत्येक दिन आम जनता के लिए खोला जाता है. इस संग्रहालय में पशु, पक्षी और जीवो की 500 से अधिक प्रजातिया और विदेशो में रहने वाली 300 से अधिक ऑर्चिड की प्रजातियों का बेहतरीन संग्रह है. इसकी देखरख सेक्रेड हार्ट कॉलेज द्वारा की जाती है।19वीं शताब्दी में स्थापित सेक्रेड हार्ट कालेज में आज शेन वागनूर संग्रहालय स्थित है जहां अनेक दर्शनीय पुरातत्व अवशेषों के साथ ही पर्वतीय वनस्पति
व जीवों के नमूने भी संग्रहीत हैं। पलनी पहाडियों के मूल निवासी पेलियंस के कुछ स्मृति व कला शेष भी इस संग्रहालय की धरोहर है। आज भी कुछ पेलियंस परिवार कुक्कुल गुफाओं के क्षेत्र में रहते हैं। यहां का आर्किडोरियम भारत के सबसे बेहतर आर्किडोरियम में से एक माना जाता है।..
मिला जुला कर बच्चो के लिए एक बेहतरीन प्रयोगशाला
यदि आप की रूचि वनस्पतियों और जीव-जंतुओं में है या आप अधिक ज्ञान बटोरने की इक्षा रखते है तो बेहतर जगह है आप के लिए कोडाइकनाल का Shenbaganur संग्रहालय..जिव विज्ञानं का जीता जगतासंग्रहालय ज्ञान वर्धक यात्रा के लायक है साथ ही बच्चों को साथ लाने के लिए एक अद्भुत अनुभव है, वे निश्चित रूप से पतंगों, सांप, तितलियों और स्तनधारियों की विभिन्न नमूनों को देख कर चकित हो जायेगे । बस स्टैंड से 6 kilometres (3.7 mi) की दुरी पर स्थित सं 1895 में स्थापित एक वनस्पतियों और जीव संग्रहालय है। संग्रहालय तितलियों, पतिंगे, सांप और स्तनधारियों की कई सौ नमूनों का एक संग्रह देखने को मिलता है साथ ही मानव विज्ञान की तस्वीरों को समझने का अवसर मिलता है जिसे मंगलवार छोड़कर सप्ताह के प्रत्येक दिन आम जनता के लिए खोला जाता है. इस संग्रहालय में पशु, पक्षी और जीवो की 500 से अधिक प्रजातिया और विदेशो में रहने वाली 300 से अधिक ऑर्चिड की प्रजातियों का बेहतरीन संग्रह है. इसकी देखरख सेक्रेड हार्ट कॉलेज द्वारा की जाती है।19वीं शताब्दी में स्थापित सेक्रेड हार्ट कालेज में आज शेन वागनूर संग्रहालय स्थित है जहां अनेक दर्शनीय पुरातत्व अवशेषों के साथ ही पर्वतीय वनस्पति
सुसाइड पॉइंट
उपर चड़ने के क्रम में एक जगह बस रोक कर गाइड ने बताया ‘सुसाइड पौइंट’ का नाम जिसका असली नाम है ‘ग्रीन वैली पौइंट’ है. गाइड ने बताया की पढाई या एक्साम में फेल बच्चे या जीवन से हारे लोगों ने पौइंट से कूद कर खुदकुशी कर ली जहा मौतों का सिलसिला चलता है |
उपर चड़ने के क्रम में एक जगह बस रोक कर गाइड ने बताया ‘सुसाइड पौइंट’ का नाम जिसका असली नाम है ‘ग्रीन वैली पौइंट’ है. गाइड ने बताया की पढाई या एक्साम में फेल बच्चे या जीवन से हारे लोगों ने पौइंट से कूद कर खुदकुशी कर ली जहा मौतों का सिलसिला चलता है |
तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले में कोदैकनल नाम का एक शहर है जो कि सुसाइड पॉइंट Kodaikanal Suicide Point Ghost Story in Hindi के नाम से मशहूर है | इस जगह को ...इस जगह को एशिया के 10 सुसाइड पॉइंट में से एक माना जाता है | इस जगह पर हमेशा लोग एक नेगेटिव एनर्जी महसूस करते है | यहा पर कई लोग अपनी इच्छा से या दुर्घटना वश मारे गये है | स्थानीय लोगो का मानना है कि कोई अदृश्य ताकत इन लोगो को पहाड़ी से नीचे धक्का देती है जिसे किसी ने नहीं देखा है | उस 6000 फीट उचे इस पहाड़ी की घाटी में केवल दो जनों के अलावा कोई नहीं जाता | वो दोनों स्थानीय लोग है जिनको मरे हुए लोगो की लाशो को पहाड़ी से उपर चढ़ाना पड़ता है | जब इन दोनों ने एक टीवी चैनल के इंटरव्यू में बताया कि वो जब वो लाशें लेने के लिए पहाड़ी की गहराई में जाते है तो शराब पीकर जाते है क्योंकि वहा लाशो की हालत देखकर आपको उल्टी हो जायेगी | किसी का पेट पिचक गया और किसी के आँखे और कान बिखरे पड़े है | वो दोनों उस पहाड़ी के तल में जाने से पहले पूजा करते है और जाते वक़्त अपने साथ निम्बू ले जाते है जिससे प्रेत आत्माओ से वो बचे रहे | उनका कहना है कि जब वो लाशो को बोरी में भरकर कंधे पर उठाकर ले जाते है तो उनको उठाना बड़ा मुश्किल होता है | वो दोनों कभी रात को घाटी में नहीं रुकते है क्योंकि रात को वहा अजीबोगरीब चीखने चिल्लाने की आवाज़े सुनाई देती है | केरल के एक लडके ने यहा आत्महत्या करने की कोशिश की लेकिन वो किस्मत से बच गया और चार दिनों तक पेड़ पर लटकता रहा| उसने बताया कि उसने एक औरत और उसके बच्चे को उस घाटी में देखा और उसने पायल की आवाज़े भी सुनाई दी | इसके अलावा उसने कई पारलौकिक शक्तियो को महसूस किया | उस लड़के को बचा तो लिया गया लेकिन उसने अपने हाथ औ र्पैर खो दिए | उसको आज भी वो चार राते सपनें में सताती है |
कोडईकनाल झील : एक सितारे की तरह बनाया गया है। कोडईकनाल झील शहर में मौजूद विभिन्न आकर्षण केंद्रों में से एक है जिसकी प्राकृतिक सुंदरता देखकर पर्यटक खिंचे चले आते हैं। झील के पास हीपर्यटकों के मनोरंजन के लिए एक बोट क्लब बनाया गया है जहां से पर्यटक नाव और हाउसबोट किराए पर ले सकते हैं। इसके अलावा पर्यटक यहां से घोड़े एवं साइकिल भी किराए पर लेकर झील के आस पास के सुंदर दृश्यों को निहार सकते हैं। झील के नजदीक मौजूद शाह पथ पर लोग सैर करते हुए दिखाई देते हैं।
कोडईकनाल झील का इतिहास
कोडईकनाल झील का इतिहास देखें तो पता चलता है कि मदुरै के तत्कालीन कलेक्टर 'वेरे हेनरी लेविंगे' (Vere Henry Levinge) ने वर्ष 1863 में झील के निर्माण में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, जब कोडईकनाल शहर संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन से आई मिशनरियों द्वारा विकसित किया जा रहा था।
कोडईकनाल से हस्तशिल्प की विभिन्न वस्तुओं की खरीदारी की जा सकती है। यहाॅ से कांचीपुरम की
साडियाॅ, चमडे व धातु से बनी वस्तुएॅ खरीदनें योग्य है। इस वस्तुओं के प्रमुख खरीदारी केंन्द्रों में खादी इम्पोरियम, हैंडलूम कोआपरेटिव स्टोर, गवर्नमेन्ट सेल्स इंपोरियम, कुरिंजी मिनी सुपर मार्किट आदि है।
कोडईकनाल झील का इतिहास देखें तो पता चलता है कि मदुरै के तत्कालीन कलेक्टर 'वेरे हेनरी लेविंगे' (Vere Henry Levinge) ने वर्ष 1863 में झील के निर्माण में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया, जब कोडईकनाल शहर संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन से आई मिशनरियों द्वारा विकसित किया जा रहा था।
कोडईकनाल से हस्तशिल्प की विभिन्न वस्तुओं की खरीदारी की जा सकती है। यहाॅ से कांचीपुरम की
बीयर शोला फॉल
यह खूबसूरत पिकनिक स्थल कोडई झील से 1.6 किमी दूर है। यहां पहुंचने का मार्ग काफी ऊबड़-खाबड़
है। यहां पर अक्सर भालूओं को पानी पीते हुए देखा जा सकता है। भालुओं की उपस्थिति के कारण की इस झरने का नाम बीयर शोला पड़ा।
बेरीजम झील पर्यटन स्थल
बेरीजम झील पलानी पर्वतों (Palani Hills) के ऊपरी भाग में स्थित "हैमिल्टन किले" के पास है। कोडईकनाल से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह झील वाटरशेड विकास परियोजना (Watershed development Project) का एक छोटा सा हिस्सा है जो बांध से निकलने वाले जल से बनी है। इस झील (Berijam Lake) का आकार एक स्टार फिश की तरह है। झील चारों तरफ से पेड़- पौधों और पहाड़ों से घिरी हुई है। यहां का शांत वातावरण और अद्भूत प्राकृतिक नजारा पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। झील के एक छोर पर कभी-कभी बाइसन, हिरण, सांप और पैंथर जैसे वन्य प्राणी पानी पीते देखे जा सकते हैं। फायर टावर, लेक व्यू, साइलेंट वैली और मेडिसिन फॉरेस्ट झील के पास स्थित अन्य आकर्षक स्थान हैं।
ब्रायंट पार्क
बेरियम झील के पूर्व दिशा में बस स्टैंड से आधा किलोमीटर दूर में 20 एकड के क्षेत्र में फैला ब्रायंट पार्क स्थित है। यह पार्क फूलों तथा संकर प्रजाति के विभिन्न पेड-पौधो के लिए जाना जाता है। ब्रायंट पार्क है। पार्क एक अच्छी तरह से संरक्षित वनस्पति उद्यान है। पार्क का नाम एच.डी. ब्रायंट के नाम पर है, जो एक वन अधिकारी थे और उन्होंने ही 1908 में इसकी योजना बनाकर पार्क का निर्माण किया था। पार्क में झाड़ियों, पेड़ और कैकटस की विस्तृत विविधता है। यहां एक ग्लासहाउस मे विभिन्न किस्म के फूल रखे हुए हैं। पीक सीजन के दौरान यह जगह रंगीन फूलों ये भर जाती है। इस जगह पर 1857 से एक यूकेलिप्टस का पेड़ और एक बोधि वृक्ष है, जिसकी वजह से इस स्थान का धार्मिक महत्व भी है। वहां पर एक नर्सरी भी है, जहां सजावटी फूल और पेड़ बिकते हैं। पार्क में हर साल पीक सीजन के दौरान एक बागवानी प्रदर्शनी का आयोजन भी करता है। पार्क में प्रवेश के लिए बहुत कम शुल्क है। मई के महीने में यहां उधान मेला का आयोजन किया जाता है।
यह खूबसूरत पिकनिक स्थल कोडई झील से 1.6 किमी दूर है। यहां पहुंचने का मार्ग काफी ऊबड़-खाबड़
बेरीजम झील पर्यटन स्थल
बेरीजम झील पलानी पर्वतों (Palani Hills) के ऊपरी भाग में स्थित "हैमिल्टन किले" के पास है। कोडईकनाल से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह झील वाटरशेड विकास परियोजना (Watershed development Project) का एक छोटा सा हिस्सा है जो बांध से निकलने वाले जल से बनी है। इस झील (Berijam Lake) का आकार एक स्टार फिश की तरह है। झील चारों तरफ से पेड़- पौधों और पहाड़ों से घिरी हुई है। यहां का शांत वातावरण और अद्भूत प्राकृतिक नजारा पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। झील के एक छोर पर कभी-कभी बाइसन, हिरण, सांप और पैंथर जैसे वन्य प्राणी पानी पीते देखे जा सकते हैं। फायर टावर, लेक व्यू, साइलेंट वैली और मेडिसिन फॉरेस्ट झील के पास स्थित अन्य आकर्षक स्थान हैं।
ब्रायंट पार्क
बेरियम झील के पूर्व दिशा में बस स्टैंड से आधा किलोमीटर दूर में 20 एकड के क्षेत्र में फैला ब्रायंट पार्क स्थित है। यह पार्क फूलों तथा संकर प्रजाति के विभिन्न पेड-पौधो के लिए जाना जाता है। ब्रायंट पार्क है। पार्क एक अच्छी तरह से संरक्षित वनस्पति उद्यान है। पार्क का नाम एच.डी. ब्रायंट के नाम पर है, जो एक वन अधिकारी थे और उन्होंने ही 1908 में इसकी योजना बनाकर पार्क का निर्माण किया था। पार्क में झाड़ियों, पेड़ और कैकटस की विस्तृत विविधता है। यहां एक ग्लासहाउस मे विभिन्न किस्म के फूल रखे हुए हैं। पीक सीजन के दौरान यह जगह रंगीन फूलों ये भर जाती है। इस जगह पर 1857 से एक यूकेलिप्टस का पेड़ और एक बोधि वृक्ष है, जिसकी वजह से इस स्थान का धार्मिक महत्व भी है। वहां पर एक नर्सरी भी है, जहां सजावटी फूल और पेड़ बिकते हैं। पार्क में हर साल पीक सीजन के दौरान एक बागवानी प्रदर्शनी का आयोजन भी करता है। पार्क में प्रवेश के लिए बहुत कम शुल्क है। मई के महीने में यहां उधान मेला का आयोजन किया जाता है।
टेलिस्कोप हाउस
घाटी और उसके आसपास की सुंदरता को देखने के लिए दो टेलिस्कोप हाउस कोडई में स्थापित किए गए हैं। सन 1899 में बनी यह वेधशाला कोडैकनाल से मात्र 3.2 कि0मी0 दूर है। यह स्थान कोडैकनाल की सबसे ऊॅची जगह पर है। इस स्थल को देखने के लिए पर्यटक केवल शुक्रवार के दिन ही मौका उठा सकते है, परन्तु अप्रैल, मई व जून मे यह प्रतिदिन खुली रहती है।इसके अलावा कोडईकनाल में सौर भौतिक वेधशाला, डोलमेन सर्कल, थालाइयर झरना की भी आप सैर कर सकते है।
पैदल घूमने के शौकीन कोडाइकनाल के ऊंचे-नीचे रास्तों पर कहीं भी घूम सकते हैं लेकिन कोकर्स वॉक नामक स्थान पर उन्हें पहाड़ों की वादियों का अलग ही मंजर नजर आता है। पहाड़ी ढलान पर बने इसघुमावदार मार्ग पर चहलकदमी करते हुए एक ओर मैदानी इलाकों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है तो दूसरी ओर पलनी पहाडियों के हरे भरे शोलावन नजर आते हैं। कोडाइकनाल में ऐसे अनेक स्थान हैं जहां से प्रकृति के विभिन्न रूपों का साक्षात्कार किया जा सकता है। ऐसा ही एक स्थान ग्रीन वैली व्यू है। यहां से घाटी के हरे-भरे दृश्य अत्यंत प्रभावित करते हैं। कभी-कभी उठ आती धुंध के समय तो ये चट्टानें अत्यंत रहस्यमय प्रतीत होती हैं। इसी प्रकार प्रकृति के विविध रूपों को दर्शाते अन्य स्थल डालफिन नाज, मायर पाइंट, साइलेंट वैली व्यू आदि हैं।
पैदल घूमने के शौकीन कोडाइकनाल के ऊंचे-नीचे रास्तों पर कहीं भी घूम सकते हैं लेकिन कोकर्स वॉक नामक स्थान पर उन्हें पहाड़ों की वादियों का अलग ही मंजर नजर आता है। पहाड़ी ढलान पर बने इसघुमावदार मार्ग पर चहलकदमी करते हुए एक ओर मैदानी इलाकों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है तो दूसरी ओर पलनी पहाडियों के हरे भरे शोलावन नजर आते हैं। कोडाइकनाल में ऐसे अनेक स्थान हैं जहां से प्रकृति के विभिन्न रूपों का साक्षात्कार किया जा सकता है। ऐसा ही एक स्थान ग्रीन वैली व्यू है। यहां से घाटी के हरे-भरे दृश्य अत्यंत प्रभावित करते हैं। कभी-कभी उठ आती धुंध के समय तो ये चट्टानें अत्यंत रहस्यमय प्रतीत होती हैं। इसी प्रकार प्रकृति के विविध रूपों को दर्शाते अन्य स्थल डालफिन नाज, मायर पाइंट, साइलेंट वैली व्यू आदि हैं।
शाम के ५ बज चुके थे अब मदुरै वापसी... बस चल दी... करीब ८ बजे हम पहुचे होटल अब कल सुबह हमें निकलना था रामेश्वरम के लिए इस लिए माता जी के साथ लग गए सामान पैकिंग में ..खाने का आर्डर दिया था कल जैसा ही तो माता जी को खिला कर सुला दिया और अब लग गए अपने सामान की पैकिंग में
आगे :-------->>> रामेश्वरम यात्रा
पीछे : <<<------- मदुरई साइड सीन
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अपनी कहानी साझा करने के लिए धन्यवाद सर। आपकी कहानी वाकई लाजवाब है।
ReplyDeleteBhoot Ki Kahaniya | bhoot wala kahani in Hindi
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