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Monday, February 15, 2016

वैलेंटाइन रे वैलेंटाइन

अभी ऑफिस में वर्क लोड कुछ ज्यादा ही है, तो कुछ कम ही लिख पाते है... लेकिन इस साल कुछ खास सोचा था की इस साल हम संत वैलेंटाइन जरुर बनेगे.. इस लिए बनारस गया था पत्नी जी के साथ कुछ रोमांटिक फोटो खीचने के लिए, वैसे इस बार का थीम सोचा था " गोरी तेरा गाव बड़ा प्यारा " घाट किनारे बेटे की सायकिल ले कर उस पत्नी जी को बैठा कर कुछ रोमांटिक अंदाज में फोटो खिचाने का .. लेकिन कहते है न किस्मत थी .गांडू.. तो हम आ गए काठमांडू.. जाने दीजिये साहेब अब ज़िन्दगी में इतने मुक़दमे हैं .. एक मुकदमा मुहब्बत का भी सही ।

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Friday, February 5, 2016

नरेंद्र मोदी सरकार का गला न सूख जाए इस बार का आम बजट बनाने में...?

मोदी जी, इस बार पीएम नहीं देश फेल होगा

दो दिन बाद संसद के बजट सत्र की शुरुआत राष्ट्रपति के अभिभाषण से होगी। जिस पर संसद की ही नहीं बल्कि अब देश की नजर होगी आखिर मोदी सरकार की किन उपलब्धियों का जिक्र राष्ट्रपति करते हैं और किन मुद्दों पर चिंता जताते हैं । क्योंकि पहली बार जाति या धर्म से इतर राष्ट्रवाद ही राजनीतिक बिसात पर मोहरा बनता दिख रहा है । और पहली बार आर्थिक मोर्चे पर सरकार के फूलते हाथ पांव हर किसी को दिखायी भी दे रहे है। साथ ही  संघ परिवार के भीतर भी मोदी के विकास मंत्र को लेकर कसमसाहट पैदा हो चली है। यानी 2014 के लोकसभा चुनाव के दौर के तेवर 2016 के बजट सत्र के दौरान कैसे बुखार में बदल रहे है यह किसी से छुपा नहीं है ।
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वाराणसी-बानारसी-बनारस अविमुक्त क्षेत्र, महाश्मशान, आनंदवन, हरिहरधाम, मुक्तिपुरी, शिवपुरी, मणिकर्णी, तीर्थराजी, तपस्थली, काशिका

भारत को धर्म और दर्शन की धरा के रूप में जाना और माना जाता है। भारत अनेकता में एकता की सजीव प्रतिमा है। इसी भारतीयता का समग्र चरित्र किसी एक शहर में देखना हो तो वह होगा बनारस। बनारस को काशी और वाराणसी नामों से भी जाना जाता है। बनारस/वाराणसी/ काशी को जिन अन्य नामों से प्राचीन काल से संबोधित किया जाता रहा है वे हैं – अविमुक्त क्षेत्र, महाश्मशान, आनंदवन, हरिहरधाम, मुक्तिपुरी, शिवपुरी, मणिकर्णी, तीर्थराजी, तपस्थली, काशिका, काशि, अविमुक्त, अन्नपूर्णा क्षेत्र, अपुनर्भवभूमि, रुद्रावास इत्यादि। इसी का आभ्यांतर भाग वाराणसी कहलता है। वरुणा और अस्सी नदियों के आधार पर वाराणसी नाम पड़ा ऐसा भी माना जाता है। कहते हैं, दुनिया शेषनाग के फन पर टिकी है पर बनारस शिव के त्रिशूल पर टिका हुआ है। यानी बनारस बाकी दुनिया से अलग है।
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