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Wednesday, March 15, 2017

सोशल मिडिया काग्रेसी योद्धा सम्मेलन

आज फेस बुकिया मित्र भाई Manoj Kumar Sharma जी के मुख पोथी पर देखा की २६ अप्रैल १७ को एक काग्रेस स्वयं सेवको का गेट to गेदर कर रहे है..



कल भाई कपिल गर्ग की वाल पर देखा .. आज २ तिन मित्रो के वाल पर देखा जो मेरे मित्र नहीं है.. लेकिन कितने काग्रेसी है...३ दिन पहले मैंने भाई ओमकार सिंह ढिल्लन से बात की थी..चुकी मेरी फेसबुक वाल पर सिर्फ मोदी जी के जुमले चलते रहते है बस उतना ही, लेकिन मुझे फायदा यह है की लोगो के विचार / सोस समझने के लिए मिल जाते है... कुछ सिखने को ही मिलता है..मेरी मित्र सूचि में लगभग १००० ऐसे
लोग है जो मेरी मित्र सूचि में नहीं.. फिर भी मै उनको फल्लो करता रहता हु, जिसमे हर राजनितिक सोच के लेखक मिल जाते है.. इस लिए मै सबकी वाल पर टहल लेता हु...  समय और स्वाद के अनुसार अपनी वाल पर चेप देता हु.. कुछ पोस्ट ऐसी होती है की अगर ट्रोल उनकी वाल पर पहुच जाये तो लेखक की आत्मा भी रोये... इस लिए अच्छे अच्छे लेखक आज भी फेसबुक पर फ्रेंड अ फ्रेंड ही लिखते है , लेकिन अच्छा लगता है की हमारी वाल को ४००० लोग तो पड़ते ही है.. भले कोई अपनी क्रिया या प्रक्रिया न देते हो ... और मै समय समय पर थोक भाव में ही सबका खाता नील कर देता हु..  इस सोसल मिडिया पर भी एक से एक बीर रस के कवी भरे है की ८० साल में भी दूल्हा बन्ने का सपना दिखा देते है.. उनलोगों की लिस्ट मै आप को दूंगा... आप सिर्फ देखे , वाद परिवाद न करे आनंद ले, सोचे समझे आतम मंथन करे... क्या जाता है ये भी एक प्रकार का हीलिंग ही है... जो भी हो, सवाल ये है की मुझे जो भी करना है मेरा मन मेरा साथ देता है.. वो है हिंदुस्तान की सभ्यता उसके संस्कार... भारत हमारी माता है, ये तो हमें बच्चे से ही सिखाया जाता रहा है, पहले भारत माता फिर अपनी माता, उसके लिए तो बनारस में “ भारत माता मंदिर “ भी बना है जिसको बनारस के बाबु शिव प्रसाद गुप्ता जी ने बनवाया था.. वो खट्टर काग्रेसी थे... जब से सोसल मिडिया और प्रेस टीवी का जमाना आया उ १०० % यादास्त को ribind करा देता है... अबे हमको का सिखाओ गे बे... तुम अपने धंधे के माहिर हम अपने धंधे के माहिर... लेकिन हा उस समय अगर पोलिटिक्स मैनेजमेंट का कोर्स होता तो शायद आज बेरोजगारी की सीमा कम रहती... लोग दुसरे की अगुली करने के चक्कर में रहते है.. हर जहग पोलिटिक्स में मैनजमेंट की दुकान चल रही है..  फ़िलहाल सोसल मिडिया की मार्केटिंग सबसे मस्त होती है क्यों की उसमे टू वे कमुनिकेसन होता है... सवाल के अनुसार भक्त दवा भी देते है... मजा आता है पड़ने में.. लेकिन मैंने जितना प्रोफेसनली भाजपा वाले है उतना कोई नहीं... क्यों न हो

६० हजार शाखाएं, ६० लाख स्वयंसेवक, ३० हजार विद्यामंदिर, ३ लाख आचार्य , ५० लाख विद्यार्थी, ९०  लाख bms के सदस्य, ५० लाख abvp के कार्यकर्ता, १०करोड़ बीजेपी सदस्य, ५०० प्रकाशन समूह, ४ हजार पूर्णकालिक, एक लाख पूर्व सैनिक परिषद, 7 लाख विहिप और बजरंग दल के सदस्य,जिसकी बदुलत १५  राज्यों में सरकारें, 283 सांसद 600 विधायक बहुत टाइम लगेगा संघ जैसा बनने में...

सबसे बड़ी बात सब का कोआर्डिनेशन आपस में बेहतर है ।।क्यों की उनका माइक्रो मेनेजमेंट भयंकर है... उस हिसाब से और पार्टिया नहीं क्यों की सबकी अपनी अपनी दुकान है, किसी का धर्म किसी का जात किसी का विकास , लेकिन मुझे लगता है की इस सभी चीजो से मै बचपन से परिचित हु नया क्या है, मई अपने धर्म के लिए बहुत कट्टर हु, लेकिन मेरे पास इतना समय कहा की दुसरे को समझने जाऊ, फिर भी समझने में कोई बुराई नहीं... सोसल मिडिया इस जानकारी को बढाने में सहायक होता है... ये मार्केटिंग के फंदे है... उन्हों ने बहुत रिसर्च किया है, ऐसी रिसर्च क्या काग्रेस के पास या और किसी पार्टी के पास है, भैया मुझे लगता है ये दुकानदारी ज्यादा दिन चलने वाली नहीं, माता जो को लेकर हमेसा तीर्थ यात्रा पर जाता हु तो धर्म के फायदे या नुकसान को समझते रहते है , क्यों की बनारसियो की यही बीमारी है... आर्गुमेंट करने सुनने का आनंद आता है.. लेकिन करेगे वही जो सिखाया गया है...क्यों की डर लगता है, एक समाज के बंधन में रहते है, लेकिन कोई तोड़ता है तो हम क्या कर सकते है, हमारे पास इतना फुर्सत कहा ... तो सोचा एक डाटा कलेक्ट किया जाये... ताकि भाई                       इतनी मेहनत कर रहे है वो सफल हो... मेरा भी कोई योगदान हो ...

तो मेरे कुछ प्रश्न है... तो जो अपने को काग्रेसी समझते है वो अपनी भावना ब्यक्त करे .. हा मेरा ये डाटा काग्रेस पार्टी को प्रभावित नहीं करता , मुझे काग्रेसी विचारधारा का डाटा देखना है... फिर मई “ राजनीती की मार्केटिंग” की किताब लिखुगा... और लोगो को निशुल्क batuga... फ्री में होगा तो ले ही लेगे क्यों की हम भारतीय है ,जो गुल्गाप्पे खा कर एक्स्ट्रा पानी लेना नहीं छोड़ते, समोसे में एक्स्ट्रा चटनी तो हक़ ही है,
खैर मेरा प्रश्न :

आप का नाम :
आप की उमर :
 
आप की शैक्षिक योय्गता :
1.    १० के लिए १
2.    १२ के लिए २
3.    ग्रेजुवेट के लिए ३
4.    मास्टर के लिए ४
5.    प्रोफेसनल के लिए ५ 

आय का जरिया :
1.    प्रोफेसनल (पेशागत)
2.    नौकरी
3.    ब्यवसाय 

आप कितने सालो से काग्रेस पार्टी को जानते है
काग्रेस के ३ अच्छे सोच
काग्रेस की ३ कमिया
आप कैसे मदत कर सकते है काग्रेस को मजबूत करने में
क्या पांच विधानसभा चुनावों में सोशल मीडिया की बहुत प्रभावी भूमिका रही है ?
आप की सोसल मिडिया में कितनी जानकारी है ?
आप के सोसल मिडिया पर कितने लोग आप की सोच से प्रभावित होते है
आप के मन में है कुछ और तो लिखे 

 
मेरा दिमागी संतुलन थोड़ा हिला हुआ है। दिमागी दिवालिएपन की वजह से खुद को संघ, मुसंघ, वामपंथ, अम्बेडकरवाद, मनुवाद, मार्क्सवाद, नारीवाद, राष्ट्रवाद, भीषण किस्म का उदारवाद इनमे से किसी गुट में शामिल नहीं कर पा रहा हूं। अपने-अपने गुट के झंडाबरदार गाली देने से पहले मेरी मानसिक स्थिति का ध्यान रखें। मुझे इग्नोर करें।

फ़िलहाल हमारा एजेंडा भ्रष्टाचार बंद हो, कालाधन बंद हो, लेकिन उनका एजेंडा है संसद बंद होः पीएम श्री

👉🏻राम मंदिर
👉🏻लव जिहाद
👉🏻घर वापसी
👉🏻गौ मांस
👉🏻गौ रक्षा
👉🏻सहिष्णुता
👉🏻असहिष्णुता
👉🏻शाहरुख़ खान
👉🏻आमिर खान
👉🏻सलमान खान
👉🏻कन्हैया
👉🏻भारत माता की जय
👉🏻वन्दे मातरम्
👉🏻कश्मीर
👉🏻बांग्लादेश
👉🏻पाकिस्तान
👉🏻बलूचिस्तान
👉🏻सर्जिकल स्ट्राइक
👉🏻तलाक व परसनल ला कानुन
👉🏻 ५०० व १००० की करंसी बंद

👉🏻इन सभी ऐतिहासिक कारनामों ने पूरे तीन साल मीडिया को व्यस्त रख कर आम आदमी के बुनियादी सवालों को गायब कर दिया गया !
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अब ज़रा गौर करो

👉🏻 *क्या इन तीन सालों में*कभी आपने टीवी पर सरकारी शिक्षा के गिरते स्तर पर बहस देखीं हैं?

👉🏻 *क्या इन तीन सालों में*कभी आपने ग्रामीण भारत में आज भी हो रहे बाल विवाह की समस्या पर "एक्सपर्ट्स की कोई टीम टीवी पर देखी है?

👉🏻 *क्या इन तीन सालों में*कभी आपको सड़को पर भीख मांगते और भूख से बिलखते बच्चों के पीछे लगा कोई मीडिया कैमरा देखा है?

👉🏻 *क्या इन तीन सालों में*कभी आपने नालों फुटपाथों पर जिंदगी को कूडे के ढेर की तरह ढोते हुए लोगों के लिए किसी को चिल्लाते हुए देखा है?

👉🏻 *क्या इन तीन सालों में*कभी आपने आत्महत्या करते किसानों के बारे में किसी को सहानुभूति जताते हुए देखा है?

👉🏻 *क्या इन तीन सालों में* कभी आपने बेरोजगारी की मार झेल रहे नौजवानों के हक में किसी को बात करते हुए देखा है?

👉🏻 *क्या इन तीन सालों में* कभी आपने मीडिया में जेलों में बंद बेगुनाह नौजवानों की रिहाई के बारे में बहस करते हुए देखा है?

👉🏻मीडिया को व्यर्थ के मुद्दों पर व्यस्त रख कर बहुत बड़े बड़े "कारनामे" किये जा रहे है और हमें इसकी भनक तक नहीं !

👉🏻 *सर्जिकल स्ट्राइक"*से जी भर गया हो तो अब नया शगूफा
 
*"समान नागरिक संहिता"* तैयार है

👉🏻 *कुछ सप्ताह तीन तलाक* पर बहस करके अपने राष्ट्रवाद पर इतरा सकते हो तो ठीक है, अगर इस मुद्दे को ज्यादा ना चला सको तो फासीवाद की फेक्ट्री में अगला "एपिसोड" बनकर तैयार होगा।

👉🏻 *आखिर हम कब तक*इन मुद्दों पर चर्चा करते रहेंगे. जिस का देश और आम जनता को कोई फायदा नहीं।
 
👉🏻 *आखिर हम कब तक*अपनी नाकामी और काले कारनामों को छुपाने व देश का बंटवारा करने की साजिश रचने वालों का शिकार होते रहेंगे।

👉🏻 *आखिर हम कब तक*सिर्फ एक जुमला सुन कर खुश होते रहेंगे।

*अच्छे दीन आने वाले है*


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