post:


Monday, April 27, 2015

उज्जैन से इंदौर

(२७ अप्रैल २०१५) तो दोपहर के २.३० पर हम पहुच ही गए इन्दौर शहर, भूख तो चप्पक के लगी थी, पर माता श्री खाने को तैयार नहीं तो अपुन भी बस से उतर कर ऑटो पकड़ के पहुच गए होटल. चुकी होटल की बुकिंग पहले ही कर चुके थे तो वहा सिर्फ बुकिंग वाउचर देने पर ही कमरा मिला गया, कागजी खाना पूर्ति करने के बाद चौथे मंजिल के कमरे में पहुच कर पहले ऐ सी चलाया क्यों की बाहर का तापमान ३८ था... दिमाक गर्म, २ बोतल ठंडा पानी पिया १० मिनट आराम किया फिर माता जी के लिए टी वी चला कर निकल पड़ा इन्दौर शहर को समझने और कल की यात्रा ओम्कारेश्वर की तयारी करने.. 


निचे रिसेप्सन पर बैठी एक महिला से इंदौर की जानकारी ली.. गूगल बाबा का भी सहारा था तो पता चला की इन्दौर शहर, पश्चिमी मध्य प्रदेश राज्य, मध्य भारत में स्थित है। यह क्षिप्रा नदी की सहायक सरस्वती एवं
इंदौर शहर
ख़ान धाराओं पर स्थित है। स्‍वर कोकिला लता मंगेशकर का शहर इन्दौर हाल के दिनो में शिक्षा के केन्द्र के रूप में उभरा है। इसे मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी के रूप में भी जाना जाता है। इन्दौर मालवा का सबसे बड़ा शहर है। ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार यह बहुत पुराना नगर नहीं है। १७१५ के आसपास यह क्षेत्र ओंकारेश्वर से उज्जैन के मध्य यात्रा का एक खुशनुमा पड़ाव हुआ था। आज यह महानगर में तब्दील होता एक शहर है, जो मुम्बई का स्वरूप लेता जा रहा है। इसके नगर नियोजन की योजना सन् १९१८  में सर पेट्रिकगेडेस ने बनाई, लेकिन इसकी विकास यात्रा १८१८ में नगर-पालिका, १८७८ में रेलवे, १९०६  में बिजली और १९०७  में टेलीफ़ोन के साथ शुरू हो गयी इन्दौर पश्चिमी मध्य प्रदेश का मुख्य संग्रहण एवं वितरण केन्द्र होने के अलावा वाणिज्यिक एवं औद्योगिक केन्द्र भी है।यहाँ लगभग ६०००  से अधिक छोटे-बड़े उद्योग हैं। इसके आसपास के क्षेत्रों में ८००  से अधिक उद्योग हैं। इन्दौर व्यवसायिक क्षेत्र में मध्य प्रदेश का प्रमुख वितरण केन्द्र और व्यापार मंडी है। यहाँ किसान अपने उत्पादन को बेचने और औद्योगिक वर्ग से मिलने आते हैं। यहाँ के आसपास की ज़मीन कृषि-उत्पादन के लिये उत्तम है। इन्दौर मध्य-भारत का गेहूँ, मूँगफली और सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक है। इन्दौर अपने नमकीनों तथा मसालेदार भोजन के लिए भी जाना जाता है।


यहाँ के प्रमुख उद्योग में कपड़ा, टाइल सीमेंट, रसायन, तंबू, फ़र्नीचर एवं खेल के सामान का उद्योग अनाज मिल तथा धातुकर्म शामिल हैं। यहाँ ऑटो एवं साइकिल और अभियांत्रिकी कार्यशालाएँ भी हैं। पुराने उद्योगों में चर्मशोधक शालाएँ, तेल की मिलें, मिट्टी के बर्तन, लाख की चूड़ियों के साथ-साथ हथकरघा बुनाई छपाई एवं रंगाई तथा निवाड़ निर्माण शामिल हैं। लट्ठा एवं नैनकला यहाँ उत्पादित सूती कपड़े की क़िस्में हैं

मध्‍य प्रदेश का सबसे बड़ा शहर इन्दौर एक प्रमुख पर्यटन स्‍थल है। यह एक ऐतिहासिक शहर है। मध्‍यकाल में यह होल्‍कर राजवंश की राजधानी हुआ करता था। यहाँ अभी भी इस वंश से संबंधित भवनों को देखा जा सकता है। टाउन हॉल, केंद्रीय संग्रहालय तथा अन्‍नपूर्णा मंदिर यहाँ के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल हैं। इस शहर में अनेक महल हैं जिसमें रजवाड़ा का ख़ास स्‍थान है। यहाँ दो विश्वविद्यालय हैं। इन्दौर शहर के संस्थापक जमींदार परिवार है जो आज भी बङा रावला जूनी इन्दौर में निवास करता है।


पर्यटक स्थलों में होल्करों द्वारा निर्मित लाल बाग़ महल, काँच मन्दिर जिसमें काँच का अद्भुतकला कौशल है, ख़ान नदी के तट पर कृष्णपुरा छतरी, सातमंज़िला भव्य होल्कर रजवाड़ा महल जिसका केवल अग्रभाग बचा है, बड़ा गणपति जिसमें गणेश की ७.६२ मीटर ऊँची मूर्ति है। महात्मा गाँधी सभाकक्ष (१९०४  में स्थापित एवं मूल रूप से किंग एडवर्ड हॉलके रूप में विख्यात) अपने भव्य घंटाघर के साथ संग्रहालय, जिसमें परमार मूर्तिकला का शानदार संग्रह है। शहर का सबसे पुराना नेहरु उद्यान, जिसमें अब एक तरणताल, पुस्तकालय एवं बच्चों के लिए मनोरंजन केन्द्र है। बाहुबली की ६.४ मीटर ऊँची मूर्ति वाला गोमतगिरि तथा एक ख़ूबसूरत झरना पाताल पानी शामिल है।

इंदौर का खान पान :

इंदौर खाने खिलाने के लिये प्रसिद्ध हैं, यहाँ सराफा, छप्पन आदि स्थान है जहाँ लोग स्वादिष्ट व्यंजन की तलाश में जाते हैं। सराफा में जोशी वाले का दही वडा, गाजर का हलवा, भुट्टे आदि विख्यात है। इंदौर की नमकीन काफ़ी प्रसिद्ध है, यहाँ की नमकीन मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के कई शहरों और गाँवों में जाती है। नमकीन में सेव, मिक्चर आदि प्रसिद्ध हैं।  वैसे लोगो के दिल में यहाँ के नमकीन, पोहा, जलेबी, चाट, कचौड़ी, समौसे सबसे ज्यादा प्रिय है  
   
प्रमुख धार्मिक स्थल

  •     अन्नपूर्णा मन्दिर
  •     खजराना का गणेश मन्दिर
  •     हरसिद्धि मन्दिर
  •     देवगुराडिया
  •     बिजासन माता मन्दिर, एरोड्रम रोड
  •     गेन्देश्वर महादेव मन्दिर, परदेशीपुरा
  •     गोपेश्वर महादेव मन्दिर, गान्धी हॉल परिसर
  •     जबरेश्वर महादेव मन्दिर, राजबाडा
  •     गोपाल मंदिर, राजबाडा
  •     श्री रिद्धी सिद्धी चिन्तामन गणेश मंदिर, कुम्हार मोहल्ला, जूनी इंदौर
  •     शनि मन्दिर, जूनी इंदौर
  •     कांच मन्दिर
फ़िलहाल ४ बज चुके थे सुबह ७ बजे ओम्कारेश्वर के लिए निकलना भी था तो एक ऑटो किया ८० किलोमीटर ४ घंटे के लिए ३५० में, फिर कमरे में आ के नहा के शाम ५ बजे निकल पड़े माता जी को इंदौर घुमाने  ... 
गीता भवन, इंदौर
गीता भवन, इंदौर

गीता भवन, इंदौर में स्थित एक अद्वितीय संरचना है। वास्‍तव में यह एक मंदिर है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह किसी विशेष धर्म, समुदाय या जाति के लोगों का मंदिर नहीं है। यह लोगों के विश्‍वास को समर्पित मंदिर है। विभिन्‍न धर्मो को मानने वाले लोग इस मंदिर में इक्‍ट्ठा होते है और अपने सर्वशक्तिमान के लिए प्रार्थना करते है।
गीता मंदिर
94 साल की ट्रैफिक वार्डन
इस मंदिर में कई धर्मो की मूर्तियां स्थित है। यहां एक शानदार केंद्रीय हॉल है जहां पुराणों और रामायण व महाभारत जैसे महाकाव्‍यों की कथाओं को पेंटिग्‍स के माध्‍यम से दर्शाया गया है। यह श्राइन प्रवचन को ज्‍यादा महत्‍व देता है, प्रवचन धार्मिक बातचीत का एक प्रकार होते है। श्राइन में प्रवचन भी करवाएं जाते है। मंदिर अपनी सुंदरता व भव्‍यता के कारण स्‍थानीय लोगों के अलावा, पर्यटकों के बीच भी काफी प्रसिद्ध है।

यहां प्रत्‍येक वर्ष, एक वार्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है जिसमें जीवन के सभी भागों से जुड़े लोग, सभी उम्र के लोग व सभी धर्मो के लोग हिस्‍सा लेते है।
खजराना गणेश मंदिर
खजराना स्थित गणेश मंदिर काफी प्रचलित धार्मिक स्थल है। यहां दूर-दूर से अपनी आस्था के अनुसार लोग

इंदौर के खजराना  गणेश
दर्शन करने आते हैं और मन्नतें मांगते हैं। मां अहित्याबाई के शासन काल में बना यह मंदिर गणोश भक्तों में काफी लोकप्रिय है। इंदौर में यह दूसरा गणेश मंदिर है जहां ऐसा माना जाता है कि अगर कोई भक्त मन्नत मांगे तो वह पूरी होती है। वैसे तो खजराना मंदिर में हर रोज पूजा आरती होती है लेकिन बुधवार के दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है जिसमें सैकड़ों भक्त शामिल होकर गजानन का आर्शीवाद लेते हैं। मंदिर का परिसर काफी भव्य और मनोहारी है, परिसर में मुख्य मंदिर के अतिरिक्त अन्य ३३ छोटे-बड़े मंदिर और है । मुख्य मंदिर में गणेशजी की प्राचीन मूर्ति है इसके साथ-साथ शिव और दुर्गा माँ की मूर्ति है। इन ३३  मंदिरों में अनेक देवी देवताओ का निवास है। मंदिर परिसर में ही पीपल का एक प्राचीन वृक्ष है इसे भी मनोकामना पूर्ण करने वाला माना जाता है |

नया वाहन, दुकान या मकान की खरीदी-बिक्री का सौदा हो, घर में विवाह, जन्मदिन कोई भी शुभ कार्य क्यों न हो, भक्त सबसे पहले यहाँ आकर सिंदूर का तिलक करना नहीं भूलते। शहर में होने वाले सभी धार्मिक व सांस्कृति आयोजनों का श्री गणोश खजराना गणोश को न्यौता दिए बिना अधूरा माना जाता है। 


थक चुके थे क्यों की रात का भी जागरण था महाकालेश्वर उज्जैन में तो एक दो जगह और घुमे

इस्कान मंदिर चलते चलते रस्ते में दिख गया टर्मिनल १० रेस्टोरेंट, MR 10 रोड, इंदौर पर एयर क्राफ्ट की डिजाईन में बनाया है..देखने में बेहतरीन, लेकिन वहा माता श्री के काम का क्या मिलता, एक बार सोचा ले चलते है अम्मा को अन्दर, पूछते है बिना प्याज लहसुन वाले खाने के लिए, फिर सोच कर फट गयी अगर कही अन्दर बोतल दिख गयी तो अम्मा मेरा थोबड़ा बिगाड़ देगी.. बचपन का अनुभव जो है आज तक  
फिर मन मसोस के चल पड़े माता जी के लिए बिना प्याज लहसुन वाला खाना खोजने.. गूगल बाबा की मदत से पता चला की Shree Chotiwala Restaurant, 8 B Raunak Plaza,
Opposite Nath
ठंडा लिम्का ;)
Mandir, South Tukoganj, Indore,
 
जो है तो शुद्ध शाकाहारी, लेकिन वहा बिना प्याज लहसुन के भी खाना मिल जाता है, चुकी चोटी वाला को लोकेसन होटल के पास ही थी तो घुमा लिया ऑटो, माता जी को ले कर पंहुचा अन्दर, खुबसूरत नजारा था अन्दर का.. काउंटर पर पंहुचा पूछा. क्या बिना प्याज लहसुन का खाना मिल जायेगा , हा सुनने पर मन में लड्डू फुट गए.. माता जी को मेनू दिखाया, लास्ट में आर्डर हुवा खाने का...काउंटर का मनेजर भी मस्त इन्सान, पूछा क्या आप लोग कानपुर से आये है.. मैंने पूछा क्यों.. प्यारा सा जवाब , आप के मुह में मसाला भरा है इस लिए.. माता जी ने मुझे घूरते हुवे जवाब दिया, हम बनारस से.. मैंने सोचा अब मेरे मसाला खाने पर माता जी ज्ञान देना शुरू करेगी तभी गर्मी का बहाना ले कर माँ से कोल्ड ड्रिंक पिने के लिए पूछा, हा सुनते ही २ माजा के लिए बोला तभी माँ ने कहा मै तो लिम्का.. २ ठंडा लिम्का लिया और इधर उधर घुमने लगा, २० मिनट में खाना पैक हो कर आ गया, पेमेंट कर निकल लिए होटल के लिए.. पहुच कर ऑटो वाले को बिदा किया, कल के लिए ओम्कारेश्वर के लिए टैक्सी की भी इंतजाम कर दिया था होटल वाले ने, तो कमरे में पहुच कर १०  बजे खाना खा सूत गए बिस्तर पर...
माता जी सुबह ५ बजे ही उठ चुकी थे, कमरे का ऐ सी बंद किया लाइट जला कर टीवी चालू कर दिया कान में आवाज तो आ रही थी .. पर अलसिया के सोते रहे सुबह ६ बजे माता जी जगाना शुरू की, जैसे बचपन में माँ उठाती थी स्कूल जाने के लिए !! कब चले के हव ?? माँ को बोला ९ बजे .. बस ३ घंटे का टाइम, माता जी शुरू चिल्लाना..बस फटाक बिस्तर छोड़ .. फ़िलहाल २ चाय मगाई बिना चीनी वाली .. रो गा के तैयार हो गए ओम्कारेश्वर के लिए... चुकी शाम की खंडवा से नासिक की ट्रेन थी तो सुबह ९.३० पर चल पड़े इंदौर से ओम्कारेश्वर ८० किलो मीटर की यात्रा पर 
 
पीछे << उज्जैन दर्शन
आगे >> ओम्कारेश्वर


Share This :

1 comment:

  1. अद्भुत शब्दों में वर्णन किया आपने (h)
    मैं इंदौर में ही रहता हूँ, [-( [-( पर इतनी सटीक जानकारी और वर्णन की क्षमता नहीं मुझमें :p :p

    ReplyDelete