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Sunday, April 26, 2015

यात्रा का शुभारम्भ

२६ अप्रैल २०१५ रविवार.. माता जी के यात्रा का शुभारम्भ . 

अब सारी तैयारी हो चुकी थी तीर्थ यात्रा की.. होटल, ट्रेन, बस और सारी जरुरी चीजे जो इस यात्रा के लिए जरुरी थी वो सब हो चूका था तो हम माता जी को ले कर चले मुगलसराय (मुगलसराय उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यह वाराणसी से लगभग ४ मील की दूरी पर स्थित है। यह पूर्वमध्य रेलवे, जिसका मुख्यालय हाजीपुर है, के सबसे व्यस्त एवं प्रमुख स्टेशनों में से गिना जाता है).. वहा से हमारी ट्रेन थी सुबह ५.१५ की शिप्रा एक्सप्रेस उज्जैन के लिए.. हम भी रात में ही बनारस पहुचे थे काठमांडू से.. कल ही भयानक भूकंप काठमांडू में, मित्रो से जानकारी मिल रही थी, सुना बहुत ही नुकसान हुवा है, और अब भी लगातार आ ही रहा है अब तक १९ झटके आ चुके है वैसे मुझे तो बनारस २५ अप्रैल की सुबह ही आना था, २४ अप्रैल शाम की ४.३० को काठमांडू से बुद्धा एयर से भैरहवा, लेकिन उस दिन शाम को भैरहवा में भयंकर अंधी तूफान के कारण फ्लाइट वापस काठमांडू, अपना सामान एअरपोर्ट पर ही छोड़ घर वापस, और गोरखपुर से बनारस की ट्रेन चौरी चौरा का भी टिकट भी कैंसिल कर दिया ..अब २५ की सुबह ७ बजे की फ्लाइट.. तो २५ की सुबह फ्लाइट के लिए ६ बजे एअरपोर्ट पहुच गए.. लेकिन मौसम के कारण फ्लाइट नहीं उस सका.. मन में संसय.. अब तो बस भी नहीं पकड़ सकता क्यों की २४ घंटे तो लग जायेगा बनारस पहुचते.. और २६ की ५ बजे की ट्रेन.. बस अब भोले शंकर का ही सहारा था , उनके दरबार में अम्मा को जो ले कर जाना था, सोचा चलो जैसा भोले की मर्जी.. ७ बज गया , देखते ही देखते ८ फिर ९ अब १० बज गया लेकिन फ्लाइट नहीं उडी.. पूरा एअरपोर्ट भीड़ से भरा.. कल शाम के भी रुके यात्री भी परेशान थे भैरहवा जाने के लिए.. पूछने पर पता चलता भैरहवा का मौसम ठीक नहीं है.. इस लिए नहीं उड़ेगी.. खैर करता भी तो क्या करता .. बस भोले नाथ को याद करता रहा , अचानक १०.३० पर सुचना प्रसारित हुई ११.१५ पर भैरहवा की फ्लाइट उड़ेगी.. कुछ आशा की किरण दिखी, बस झोला ले लग गए बोर्डिंग की लाइन में.. उस समय तो काठमांडू का मौसम ठीक ही था, खैर ठीक ११.१५ पर अपनी फ्लाइट भैरहवा के लिए उड़ चली, भूख भी जाम के लग चुकी थी.. पर बैठे ही थे मन मसोस कर .. खैर ११.४० पर सुचना मिली की भैरहवा का मौसम ठीक न होने के कारण,अभी फ्लाइट उपर ही रहेगी.. मन फिर बैचेन.. लगे शिव शिव जपने.. लेकिन १० मिनट में ही फ्लाइट भैरहवा एअरपोर्ट पर लैंड कर गयी. फिर मैंने मोबाइल से काठमांडू के ऑफिस के सहयोगियों को अपने भैरहवा पहुचने की
सुचना दे दी.. अब बाहर निकले का समय.. मै मोबाइल से बात करते फ्लाइट की सीढियों से निचे उतर ही रहा था तभी वहा अफरा तफरी... भुएचालो मतलब भूकंप आ गया रे.. मेरे ऊपर भी सब लोग कूदने लगे.. मै समझ ही नहीं पाया क्या हुवा.. पूरा भागा दौड़ी.. रनवे पर .. सुरक्षा कर्मियों ने सबको बाहर ले कर खुले में रनवे के पास ला कर खड़ा कर दिया.. समझ ही नहीं पाया ये क्या हो रहा है.. ११.५६ मोबाइल में हो रहा था, तभी एक झटका लगा तब जा कर दिमाक की बत्ती जली और माजरा समझ में आया, खैर अब करते भी तो क्या करते.. २० मिनट बाद थोडा माहौल सामान्य हुवा तो लगेज लिया और निकल पड़े एअरपोर्ट के बाहर, बाहर भी सब सुन सान.. मोबाइल में भी टावर गायब.. चल पड़े सामान ले टैक्सी खोजने बॉर्डर के लिए .. ४ किलोमीटर पैदल चलने के बाद मेन सड़क पर टैक्सी मिली, तो चल दिए १० किलोमीटर के बाद भारत के बॉर्डर पर, १२.४५ पर पहुच ही गए भारतीय सीमा पर, वहा पता चला की काठमांडू में भयंकर ७.९ का भूकंप आ चूका है.. समय कम था तो दौड़ पड़े रोडवेज की तरफ, वहा एक बस निकल ही रही थी बनारस के लिए बस सवार हो लिए.. भूकंप के चक्कर में बॉर्डर भी सुन सान हो चूका था, तो कुछ खाने को भी नहीं मिला, बस चल रही थी, तो भारतीय सिम लगा कर डाटा चालू किया तब मित्रो से व्हाट्स ऐप के जरिये काठमांडू के तबाही का मंजर दिखा.. हे भगवन.. जैसे ही मैंने काठमांडू छोड़ा.. ये क्या कर दिया आप ने.. रस्ते में भी भागा भागी ही था क्यों की भारत की सीमा में भी लोग झटके
महसूस कर रहे थे... एक घंटे के बाद बस वाले ने एक होटल के पास खाने के लिए रोका तो वहा भी कुछ खास खाने के लिए नहीं था तो समोसा छोला से ही काम चलाना पड़ा, वही हालत गोरखपुर में भी.. हर जगह भागम भाग.. अफवाहों का भी उफान तेजी पर ... ३ बजे पहुच गए गोरखपुर.. १० मिनट के विश्राम के बाद चल पड़ी बस हमारी बनारस के लिए, नेपाल के मित्रो से व्हाट्स ऐप के माध्यम से पल पल की खबर मिल रही थी..

२०१५ नेपाल भूकम्प क्षणिक परिमाप पर ७.८ या ८.१ तीव्रता का भूकम्प था जो २५ अप्रैल २०१५ सुबह ११.५६ स्थानीय समय में घटित हुआ। भूकम्प का अधिकेन्द्र लामजुंग, नेपाल से ३८ कि॰मी॰ दूर था। भूकम्प के अधिकेन्द्र की गहराई लगभग १५ कि॰मी॰ नीचे थी। बचाव और राहत कार्य जारी हैं। भूकंप में कई महत्वपूर्ण प्राचीन ऐतिहासिक मंदिर व अन्य इमारतें भी नष्ट हुईं हैं। १९३४ के बाद पहली बार नेपाल में इतना प्रचंड तीव्रता वाला भूकम्प आया जिससे ८००० से अधिक मौते हुई हैं और २००० से अधिक घायल हुए। भूकंप के झटके चीन, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में भी महसूस किये गये। नेपाल के साथ-साथ चीन, भारत और बांग्लादेश में भी लगभग २५० लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है। भूकम्प की वजह से एवरेस्ट पर्वत पर हिमस्खलन आ गया जिससे १७ पर्वतारोहियों के मृत्यु हो गई। काठमांडू घाटी में यूनेस्को विश्व धरोहर समेत कई प्राचीन एतिहासिक इमारतों को नुकसान पहुचाँ है। 18वीं सदी में निर्मित धरहरा मीनार पूरी तरह से नष्ट हो गयी, अकेले इस मीनार के मलबे से २०० से ज्यादा शव निकाले गये।

खबरों के अनुसार मौसम विभाग द्वारा जारी बयान के अनुसार, पहला झटका आज सुबह ११ बजकर ४१ मिनट पर ७.५ तीव्रता का भूकंप आया। इसके बाद १२ बजकर १९ मिनट पर फिर भूकंप आया। बाद में छोटे-बड़े १५ झटके और महसूस किए गए। नेपाल में इसकी तीव्रता ७.९ बताई जा रही है। नेपाल में रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता ७.९ आंकी गई है। बताया जा रहा है कि नेपाल के पोखरा से ८० किलोमीटर दूर भूकंप का केंद्र है। नेपाल में कई इमारतें धाराशाही हो गई है। बताया जाता है कि समूचे नेपाल में भारी नुकसान हुआ है। 


रात ९ बजे बस हमारी पहुच गयी बनारस, बस जैसे चौकाघाट पहुची, हम वही उतर, ऑटो से घर पहुच गए शाम के ९.४५ पर .. घर में सभी बेसब्री से इतजार कर रहे थे.. खैर थक चुके थे दिन भर की भागा दौड़ी से, लेकिन सुबह निकलना जो था तो सब सामान मिलाना, माँ ने अपनी पूरी तयारी कर रखी थी , जो बचा था वो सब रात ११ बजे तक समाप्त हो गया, खाना खा १२ बजे बिस्तर पर ३ घंटे आराम के बाद ३ बजे भोर में फिर उठ कर नहा धो तैयार हो ४ बजे निकल पड़े मुगलसराय.. छोटे भाई ने हम दोनों को अपनी गाड़ी से मुग़ल सराय तक पंहुचा दिया, लेकिन ट्रेन २ घटे लेट, खैर २ घटे प्लेटफोर्म पर चहलकदमी... ७ बजे ट्रेन आये तो हम भी विराज हो लिए माता जी को ले कर महाकाल के दरबार के लिए .. ट्रेन अपने रफ़्तार में थी.. हम भी थके हुवे थे रात की नींद भी पूरी नहीं हुई थी आख बंद.. फ़िलहाल माता जी ने खाने पिने का पूरा प्रबंध किया था तो सुबह ९ बजे पुड़ी सब्जी मिली खाने के लिए.. ज़माने बाद सुबह का नास्ता वो भी माँ के हाथ का, माता जी रात में सोई कहा.. रात भर येही सब बनाने में ही.. खैर आत्मा को चैन मिला नींद लग रही थी तो उपर की बर्थ पर पसर लिए ए सी के सामने मुह कर के.. ३ घटे की नींद के बाद अम्मा ने जगाया , उठे कुछ आराम मिला, ट्रेन चल रही थी... फिर मै मुह धो फ्रेश हुवा , १-१ चाय कुछ आराम मिला, सोचा अम्मा भी रात भर की जगी है.. तो उनको भी १-२ घंटे सुला दिया जाये.. लगा दिया माँ का बिस्तर .. और मै लग गया नेपाल के खबर में 

नेपाल मशहूर धारहरा मीनार धराशायी होने की खबर। यह इमारत ९ मंजिला है। इसे नेपाल की कुतुब मीनार भी कहा जाता है। इसके मलबे में ४०० लोगों के फंसे होने की संभावना है। भूकंप से नेपाल में कई मंदिर ध्वस्त, लेकिन चमत्कारिक ढंग से पांचवीं सदी के पशुपतिनाथ मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि दर्जनों घायल लोगों को मध्य काठमांडो के मुख्य अस्पताल में लाया गया है। हताहत लोगों की अनुमानित संख्या के बारे में तत्काल कोई सूचना नहीं है। उन्होंने बताया कि दहशतजदा लोगों को उन्होंने गलियों में दौड़ते देखा। गलियों में एम्बुलेंसों के सायरन गूंज रहे थे और सरकारी हेलिकाप्टर आसमान में चक्कर लगा रहे थे। राष्ट्रीय रेडियो ने और झटकों की आशंका के चलते लोगों को घरों से बाहर रहने की चेतावनी दी है। पुराने काठमांडो शहर में घनी आबादी रहती है जहां तंग गलियों में एक के ऊपर एक कई मंजिला घर बने हैं। 

भूकंप में करीब ३ लाख लोगों के फंसे हुए हैं. ७.९ रिक्टर स्केल की तीव्रता वाले भूकंप के बाद से ही पूरे नेपाल में दहशत का माहौल है. नेपाल के राष्ट्रपति राम बरन यादव ने भूकंप के खौफ से शनिवार रात खुले आसमां के नीचे बिताई. नेपाल में आए इस भीषण भूकंप में हजारों लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है. दहशत भरी रही पूरी रात...शनिवार सुबह ११ बजे आए भूकंप के बाद भी नेपाल की धरती लगातार भूकंप से कांप रही है. शनिवार रात भी नेपाल में भूकंप के झटके रह रहकर महसूस किए गए. नेपाल की राजधानी काठमांडू में ही मरने वालों की संख्या एक हजार के आंकड़े को छू गई है. नेपाल के विनाशकारी भूकंप में ८ भारतीयों की भी मौत हो गई. 

ये सब पढते देखते ३ घंटा बीत गया , और माँ उठ गयी ४ बज चूका था, चाय नास्ता किया .. फिर लगे माँ के साथ गपास्टक में... ७ बज गया... मजा आ रहा था इतना समय माँ के साथ.. कुछ नया था जीवन में.. तभी रात के खाने का आर्डर... मुझे तो खाना था वरना सुबह निकालता क्या ? पर माता श्री ने खाने के लिए मना कर दिया , तो सिर्फ एक खाना .. ८ बजे खाना भी आ गया ९ बजे तक खाना भी खा कर पत्नी जी को फोन किया अब ऑनलाइन देखो ट्रेन कब पहुचेगी उज्जैन.. मै चला सोने.. जब उज्जैन आने वाला हो तो जगा देना मुझे.. धर्म की पत्नी जी ने सहमती जताई तो मै चादर तान लम्बा लेट.. १.१५ पर पत्नी जी का फ़ोन बजा..लेकिन हमको कहा सुनाई देता .. हम तो मुर्दासन में.. बस मोबाइल का रिंग टोन सुन माता श्री अपने बिस्तर से उठ कर शुरू.. चिल्लना .. देख केकर फोन आयल... वैसे तो रिंग टोन सुन समझ गयी थी माता श्री.. हडबडा के उठे फ़ोन पिंग किया तो पत्नी जी ने बताया की अब उज्जैन आने वाला है.. उठो... अब इतने आराम के बाद तो थैंक्स बोलना भी जरुरी था .. पूछ ताछ के बाद पता चला की १५ मिनट में पहुच जायगी ट्रेन अपनी उज्जैन रात १.५० पर हमारी ट्रेन पहुच गयी उज्जैन... सामान सामान ले अम्मा के साथ भागे बाहर ३.३० पर हमें महाकाल के दरबार में पहुचना था लेकिन ट्रेन ३ घंटे लेट तो फटाफट बाहर निकले रात का २ बज चूका था,  हर जगह की तरह ऑटो वाले आ गए.. होटल चहिये "अंकल जी" सफ़ेद बाल देख के.. "बाबु दसहरा मैदान चलोगे..हा चलेगे.. का लोगे पैसा .. ५० रुपया .. अब उज्जैन जैसे शहर में सिर्फ ५० रुपया वो भी रात के २ बजे.. क्या सोचना .. सामान रखा.. अम्मा को बैठाया ऑटो में चल पड़े.. १५ मिनट में अपने बुक किये होटल में पहुच गए.. होटल का गेट भी खुल गया अन्दर पहुचे... चेक्किन करने के बाद पहुच गए कमरे में ... अब १ घंटा हाथ में नहाना धोना.. फिर महाकाल के दरबार में चाय के लिए निवेदन किया तो १० मिनट में लाने का वादा.. खैर कमरे में पहुचने के बाद नहाने धोने की तयारी.. सामान खोलने में ही चाय भी आ गयी, बिना चीनी की थे तो जरा जल्दी आ गयी, अम्मा चाय पि गयी बाथरूम में, लेकिन मेरा कहा, चाय ले निकल पड़े कमरे के बाहर, एक सिगरेट सुलगाया , तब चाय और सिगरेट के दबाव ने बनाया जल्दी तैयार होने का जोश.. समय था तो रजनीगंधा भी दबा लिए.. चुकी सोमवार था तो दाढ़ी, नाख़ून .. बहुते काम था.. सब काम करते करते माँ निकल चुकी थी बाथरूम से और हम दाढ़ी ही बना रहे थे.. बस अम्मा शुरू. चिल्लाना .. फटाफट सल्टाए और भागे बाथरूम में.. १५ मिनट में अम्म्मा ६ बार चिल्लाई.. जैसे बचपन में.. खैर चाय, सिगरेट और रजनीगंधा सबके सहयोग से कार्य सम्पन्न हुवा.. निकले बाहर.. महाकाल के दरबार में भस्म आरती के लिए सिर्फ धोती ही चलती है तो हम भी ५ मिनट में धोती कुर्ता पहन तैयार हो गए.. और माँ को ले निचे उतर पड़े वहां के लिए जो हमें महाकाल के दरबार में पहुचाये.. होटल वाले ने १ ऑटो बुला दिया सुबह का ४ बज चूका था, ऑटो वाला भी आ गया. अब देर क्यों.. माँ को फटाफट ले ऑटो में बैठ का चल दिए महाकाल के दरबार में ... 





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1 comment:

  1. गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजंबूफलचारुभक्षणम्‌ ।
    उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्‌ ॥
    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे
    सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
    उर्वारुकमिव बन्धनान्
    मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
    श्री महाकाल बाबा की जय । श्री केदारनाथ बाबा की जय
    आप की ये यात्रा मंगलमय हाे यही मेरी कामना है । हर हर महादेव ... =p~ =p~ =p~

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