सुबह ६ बजे माता जी ने जगाया... देख चेन्नई आवत हव.. उठ... मै भी हडबडा के उठा... पूछ ताछ करने पर पता चला की 7 बजे तक पहुचे ही चेन्नई इग्मोर .
सामान ले बाहर निकले यात्रियों के पीछे ही.. मुख्य सड़क पर आते ही एक ऑटो वाले से पूछा.. आसपासकोई अच्छा होटल.... ऑटो वाले ने पूछा बजट... मैंने १०००-१२०० रुपये बोला AC रूम के लिए... उसने सामान रख ऑटो में बैठा कर पास ही एक होटल में पंहुचा दिया... होटल कुछ पुराने ढंग का था लेकिन करना क्या था.... होटल में एंट्री कर पहुच गए रूम में... चाय मगा कर पिलाया माता श्री को... फिर निचे उतरे आस पास देखने... सुबह का समय था... तो सड़क भी एक दम खाली ही... लेकिन आस पास और भी होटल थे...आधे घंटे के चक्कर लगाने के बाद वापस पहुचे होटल... वहा काउंटर पर लोकल साइड सीन के बारे में पूछा तो पता चला की यहाँ मिनी बस से साइड सीन की ब्यवस्था है.. पर ब्यक्ति २०० रुपये के दर से जो दोपहर २ बजे से शाम ६ बजे तक की होगी... 400 रुपये दे २ सिट आरक्षित करवा लिया ..फिर कमरे में जा नहा धो .. फ्रेश हुवे... तभी दरवाजे पर खट- खट... दरवाजा खोला एक काला सा मोटा डरावना से दिखने वाला ... सर... लंच लेगे... क्या मिलेगा भाई... उसने बोला पर प्लेट १६० ... मन में सोचा अबे मिलेगा क्या... लेकिन तमिल और हिंदी का मिलाप कहा हो.. ५०० का नोट दिया बोला २ खाना और 1 दही... पैसा ले वो वापस... नीचे.. आधे घंटे बाद वो वापस आया... २ झोला ले कर... मुझे थमाया और १५० वापस ... झोला खोला तो समझ में नाही आया की क्या खाए कैसे खाए.... प्लेट के नाम पर एक बड़ा केला के पत्ते में 1 किलो भात, और छोटी छोटी पन्नियो में सांभर, रसम, चटनी मिठाई... और पता नहीं क्या क्या कुल चावल के आलावा १४ पन्नी... खैर खाना ज्यादा तो था लेकिन स्वादिस्ट...मजा आया एक दम पारम्परिक तरीके का दक्षिण भारतीय भोजन...
थोड़ी देर विश्राम करने के बाद एक वेटर आया... क्यों की टूर की बस आने वाली थी... अब दो बजने ही वाले थे... हम वेटर के साथ पहुच गए मुख्य सड़क पर, थोड़ी देर बाद एक मिनी बस आई... उसमे और भी यात्री सवार थी... जो सभी हिंदी बोल रहे थे... इस लिए बस का गाइड भी अच्छी हिंदी बोल रहा था... उसका भी घुमाने का चार्ज २० रुपये पर ब्यक्ति था... जैसा की मदुरै में..
चल दी बस और गाइड लगा बताने चेन्नई और दर्शनीय स्थल के बारे में...
चेन्नई (तमिल: சென்னை IPA: [ˈtʃɛnnəɪ]), पूर्व नाम मद्रास, भारत में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित तमिलनाडु की राजधानी, भारत का पाँचवा बड़ा नगर तथा तीसरा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। इसकी जनसंख्या ४३ लाख ४० हजार है। यह शहर अपनी संस्कृति एवं परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। ब्रिटिश लोगों ने १७वीं शताब्दी में एक छोटी-सी बस्ती मद्रासपट्ट्नम का विस्तार करके इस शहर का निर्माण किया था। उन्होंने इसे एक प्रधान शहर एवं नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित किया। बीसवीं शताब्दी तक यह मद्रास प्रेसिडेंसी की राजधानी एवं एक प्रमुख प्रशासनिक केन्द्र बन चुका था।
चेन्नई में ऑटोमोबाइल, प्रौद्योगिकी, हार्डवेयर उत्पादन और स्वास्थ्य सम्बंधी उद्योग हैं। यह नगर सॉफ्टवेयर, सूचना प्रौद्योगिकी सम्बंधी उत्पादों में भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक शहर है। चेन्नई एवं इसके उपनगरीय क्षेत्र में ऑटोमोबाइल उद्योग विकसित है। चेन्नई मंडल तमिलानाडु के जीडीपी का ३९% का और देश के ऑटोमोटिव निर्यात में ६०% का भागीदार है। इसी कारण इसे दक्षिण एशिया का डेट्रॉएट भी कहा जाता है।
चेन्नई (तमिल: சென்னை IPA: [ˈtʃɛnnəɪ]), पूर्व नाम मद्रास, भारत में बंगाल की खाड़ी के कोरोमंडल तट पर स्थित तमिलनाडु की राजधानी, भारत का पाँचवा बड़ा नगर तथा तीसरा सबसे बड़ा बन्दरगाह है। इसकी जनसंख्या ४३ लाख ४० हजार है। यह शहर अपनी संस्कृति एवं परंपरा के लिए प्रसिद्ध है। ब्रिटिश लोगों ने १७वीं शताब्दी में एक छोटी-सी बस्ती मद्रासपट्ट्नम का विस्तार करके इस शहर का निर्माण किया था। उन्होंने इसे एक प्रधान शहर एवं नौसैनिक अड्डे के रूप में विकसित किया। बीसवीं शताब्दी तक यह मद्रास प्रेसिडेंसी की राजधानी एवं एक प्रमुख प्रशासनिक केन्द्र बन चुका था।
चेन्नई में ऑटोमोबाइल, प्रौद्योगिकी, हार्डवेयर उत्पादन और स्वास्थ्य सम्बंधी उद्योग हैं। यह नगर सॉफ्टवेयर, सूचना प्रौद्योगिकी सम्बंधी उत्पादों में भारत का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक शहर है। चेन्नई एवं इसके उपनगरीय क्षेत्र में ऑटोमोबाइल उद्योग विकसित है। चेन्नई मंडल तमिलानाडु के जीडीपी का ३९% का और देश के ऑटोमोटिव निर्यात में ६०% का भागीदार है। इसी कारण इसे दक्षिण एशिया का डेट्रॉएट भी कहा जाता है।
चेन्नई सांस्कृतिक रूप से समृद्ध है, यहाँ वार्षिक मद्रास म्यूज़िक सीज़न में सैंकड़ॊ कलाकार भाग लेते हैं। चेन्नई में रंगशाला संस्कृति भी अच्छे स्तर पर है और यह भरतनाट्यम का एक महत्त्वपूर्ण केन्द्र है। यहाँ का तमिल चलचित्र उद्योग, जिसे कॉलीवुड भी कहते हैं, भारत का द्वितीय सबसे बड़ा फिल्म उद्योग केन्द्र है
चेन्नई में अनेक दर्शनीय स्थल हैं जिनमें मद्रास विश्वविद्यालय, चेपॉक महल, मत्स्य पालन केन्द्र, कपिलेश्वर और पार्थसारथी का मंदिर, अजायबघर और चिड़ियाघर आदि प्रमुख हैं। चेन्नई का एक अन्य महत्वपूर्ण आकर्षण है सेंट जॉर्ज फोर्ट। इसे ईस्ट इंडिया कंपनी के फ्रांसिंस डे ने बनाया था।
यहाँ के बारे में कुछ खास जानकारी
तहसील / तालुक : एग्मोर नुंगमबक्कम, फोर्ट तोंदिअर्पेट, माम्बलम गिंडी, चेन्नई त्रिपलीकेन, पेरम्बूर पुरासवल्कम
खाद्य और भोजन :गरम फ़िल्टर कॉफी, शाकाहारी और मांसाहारी भोजन - इडली, डोसा, अप्पम, वड़ा, उपमा टमाटर की चटनी, नारियल की चटनी और सांभर के साथ, चावल के व्यंजन, फलियां और दाल, करी पत्ता, सरसों के बीज, धनिया, अदरक, लहसुन, मिर्च, काली मिर्च, दालचीनी, लौंग, हरी इलायची, जीरा, जायफल, नारियल और गुलाब जल, परोठा, पुलियोगारे, अवियल, थोगायल, थयीर सदम, चिकन, काली मिर्च चिकन, चिकन स्टू, नारियल करी के बने कई व्यंजन, मीठी पोंगल, केसरी, आदि, चेन्नई पेय जैसे टेंडर नारियल, छाछ, फलों के रस, आदि
धर्म : मुस्लिम, ईसाई, हिंदू
त्योहार/महोत्सव : नाट्यांजलि नृत्य महोत्सव, नृत्य और संगीत समारोह, यात्रा और पर्यटन मेला, पोंगल, अरुबाथिमूवर, ममल्लपुरम , चित्तिरै, महामागम, कंथुरी, वेलंकन्नी, नवरात्री और सरल विझा, कवादी महोत्सव, समर फेस्टिवल, त्यागराजा महोत्सव, कार्तिगाई दीपम आदि
स्मारक फोर्ट : सेंट जॉर्ज, फ्रीमेसंस हॉल, राजकीय संग्रहालय, कामराज मेमोरियल हाउस, एमजीआर मेमोरियल, सीनेट हाउस, हजार रोशनी मस्जिद, वल्लुवर कोट्टम, युद्ध स्मारक
दर्शनीय स्थल : मरीना बीच, कपालीश्वरर मंदिर, सैन थोम बैसिलिका, पार्थसारथी मंदिर, अरिग्नर अन्ना प्राणि उद्यान, मरुंदीस्वरर मंदिर, अष्टलक्ष्मी कोविल, फोर्ट सेंट जॉर्ज, विवेकानंदर इल्लम, राजकीय संग्रहालय, गिंडी राष्ट्रीय उद्यान, कोवेलोंग, सेंट थॉमस माउंट , इलियट बीच, मध्य कैलाश, वल्लुवर कोट्टम, कालीकम्बल मंदिर, क्वींस लैंड, किष्किंता, मायाजाल , बिड़ला तारामंडल, चर्च ऑफ़ आवर लेडी ऑफ़ लाइट, गोल्डन बीच, प्रकाश घर, हजार रोशनी मस्जिद, रविश्वरर, सेंट पैट्रिक कैथेड्रल, सेंट जॉर्ज कैथेड्रल, सेंट मैरी चर्च (फोर्ट सेंट जॉर्ज), वरसिद्धि विनायक मंदिर, अर्मेनिअन चर्च, श्रीलंका महाबोधि केंद्र, इस्कॉन मंदिर चेन्नई, आदि
इतना ज्ञान सुनने के बाद हम पहुचे स्थान: पांथेयन रोड, एग्मोर, चेन्नई, तमिलनाडु
सन् १८५१ में निर्मित चेन्नई का राजकीय संग्रहालय, मद्रास संग्रहालय के नाम से लोकप्रिय है। कोलकाता के भारतीय संग्रहालय के बाद तथ्यात्मक तौर पर यह भारत का दूसरा सबसे पुराना संग्रहालय है और यह अपने आप में किसी खजाने से कम नहीं है। कला, पुरातत्व, मानव विज्ञान, मुद्रा शास्त्र और बहुत कुछ बेहतरीन कृतियों का यहां भंडार है, इसलिए मद्रास संग्रहालय सबको आकर्षित करता है।
16.25 एकड़ क्षेत्र में फैला राजकीय संग्रहालय दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा संग्रहालय माना जाता है। इसके परिसर में 6 स्वतंत्र भवन और 46 गैलरी हैं। ये हैं -
• मुख्य भवन जहां प्राचीन कलाकृतियां, मूर्तियां, पशु दीर्घा, वनस्पति दीर्घा और डाक टिकट दीर्घा है।
• सामने के भवन में दिलचस्प कठपुतली दीर्घा और लोक नृत्य और संगीत दीर्घा है।
• कांस्य दीर्घा: इसमें कांस्य की कलाकृतियों के अलावा मुद्राशास्त्र और रासायनिक संरक्षण दीर्घा है।
• बच्चों के लिए संग्रहालय में एक भाग है जिसमें गुडि़यांओं का वर्ग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी दीर्घा है।
• नेशनल आर्ट गैलेरी में उत्कृष्ट चित्र और कलाकृतियां हैं।
•समकालीन कला वीथिका में राॅक और केव आर्ट से लेकर अंग्रेजों के चित्र और माॅडर्न आर्ट हैं। इससे कला की विकास यात्रा का प्रदर्शन होता है।
राजकीय संग्रहालय, चेन्नई (अंग्रेज़ी: Government Museum, Chennai) तमिल नाडु की राजधानी चेन्नई में स्थित है। इसे फ़ोर्ट सेंट जार्ज संग्रहालय अथवा क़िला संग्रहालय भी कहा जाता है। यह जनता के लिए उसे 31 जनवरी, 1948 को खोला गया। यह संग्रहालय तत्कालीन मद्रास की प्रेसीडेन्सी सरकार, सेंट मेरी चर्च के अधिकारियों, भंग कर दी गई सेना यूनिटों तथा अन्य द्वारा दान दी गई ब्रिटिश राज की वस्तुओं के छोटे से संग्रह के साथ प्रारंभ हुआ था। बाद के वर्षों में विभिन्न साधनों से अनेक वस्तुएं अर्जित की गईं और अब इस संग्रह में 3661 पंजीकृत पुरावस्तुएं हैं। इनमें से सर्वोत्तम वस्तुएं (602) दस दीर्घाओं में प्रदर्शित की गई हैं।
विशेषताएँ
•जिस इमारत में संग्रहालय स्थित है, क़िले के भीतर निर्मित और अभी तक मौजूद सबसे प्राचीन इमारतों में से एक है। यह इमारत 1795 में पूरी बन गई थी और इसमें मद्रास बैंक स्थित था। संग्रहालय की इमारत का अपना इतिहास है।
•पुरावस्तुओं को तीन मंजिलों में स्थित दस दीर्घाओं में प्रदर्शित किया गया है। सबसे पहले लॉर्ड कार्नवालिस (1738-1805) की संगमरमर की एक प्रभावशाली प्रतिमा आंगतुकों का स्वागत करती है। इस प्रतिमा में बंदी के रूप में टीपू सुल्तान के दोनों पुत्रों के आत्मसमर्पण के दृश्य को दिखाया गया है जिसे थॉमस बैंक द्वारा बनाया गया था और इसे जनता से लिए गए पैसे से वित्त पोषित किया गया था। लॉबी में 1640 के बाद की अवधि में निर्माणों और पुनरूद्धारों के चरणों को दर्शाने वाले चित्र रखे गए हैं।
•तलवारों, छुरों, राइफलों और पिस्तौलों, मोर्टरों, पटाका, तोप के गोलों, वक्षकवच, हेलमेट, डंडे जैसे हथियार और विश्व युद्धों के दौरान छुट-पुट हमलों के दौरान मद्रास पर और उसके बचाव में दागे गए गोलों के टुकड़े तथा इसके अलावा तीन-धनुष जैसे हथियार भी प्रदर्शित हैं।
•ब्रिटिश सेना के विभिन्न रैंकों की वर्दियां, मद्रास के गवर्नर के अंगरक्षकों और मद्रास सरकार के अवर सचिव के समारोही परिधान, विभिन्न यूनिटों के रेजिमेन्ट संबंधी रंग और आधिकारिक राज्याभिषेक समारोह में प्रयोग की जाने वाली गद्दियां तथा भारतीय उप महाद्वीप में ब्रिटिश सैनिकों द्वारा लड़ी गई विभिन्न लड़ाइयों में उन्हें सम्मानित करने के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी लगभग 64 पदक और मुद्राएं, वर्दी और पदक दीर्घा में प्रदर्शित हैं।
•चीनी मिट्टी के बर्तनों वाली दीर्घा में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा आधिकारिक रूप से खान-पान के बर्तनों के रूप में उपयोग किए जाने वाले चीनी मिट्टी के विभिन्न बर्तनों तथा आर्काट के नवाबों के इसी प्रकार के बर्तन प्रदर्शित किए गए हैं। चित्र दीर्घा में, जार्ज-तृतीय और उसकी पत्नी रानी विक्टोरिया तथा राबर्ट क्लाइव, सर आर्थर हैवलॉक के चित्रों समेत अन्य चित्र, कैनवास पर बने तैल-चित्र प्रदर्शित हैं। 1738 में फोर्ट सेंट जार्ज का सबसे पहला चित्र एक अन्य रोचक चित्र है।
•विविध-वस्तु दीर्घा में सेंट मेरी चर्च और ज़ामन चर्च, ट्रैन्क्यूबर से लिए गए चर्च के चांदी के विभिन्न बर्तन प्रदर्शित किए गए हैं। सेंट मेरी चर्च के चांदी के बर्तनों में इलिहू येल द्वारा दान दिए गए बर्तन शामिल हैं जिन्होंने अमरीका के येल विश्वविद्यालय की स्थापना की थी। इस फोर्ट का, जैसा यह 19वीं श्ताब्दी में दिखता था, एक बृहत पैमाने वाला मॉडल और ईस्ट इंडिया कंपनी के ताले और लोहे की अलमारियां और आर्काट के नवाबों की एक पालकी संग्रहालय में मौजूद है।
•छापा (प्रिन्ट) और दस्तावेज दीर्घा में दर्शाई गई वस्तुओं में प्रसिद्ध थॉमस और उसके भांजे विलियम डेनियल, सॉल्ट एच. मर्क तथा अन्य द्वारा तैयार किए गए चित्र शामिल हैं। महत्वपूर्ण दस्तावेजों में रॉबर्ट क्लाइव तथा अन्य द्वारा लिखे गए कुछ मूल पत्र शामिल हैं। ये छापे (प्रिन्ट), जिन्हें ताम्रपत्र-उत्कीर्णन (एक्वाटिन्ट) के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय स्मारकों और दृश्यों को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं और इन्हें बहुत मेहनत से अम्ल-लेखन से बनाया गया है।
•भारतीय फ्रांसीसी दीर्घा में उत्तम और अलंकृत चीनी मिट्टी के बर्तन, घड़ियों, भारत में फ्रांसीसियों द्वारा जारी टिकट और सिक्का, फर्नीचर, लैम्पशेड और घड़ियों जैसी वस्तुएं प्रदर्शित हैं। एक महत्वपूर्ण देसी शासक वंश वोडेयार की कलावस्तुएं, जैसे चित्र, मैसूर शैली की चित्रकारियां, सिक्के, झंडे और प्रशंसा पत्र वोडेयार दीर्घा में प्रदर्शित हैं। डेनियल तथा अन्य द्वारा तैयार किए गए किले के विभिन्न दृश्यों, प्राचीन मद्रास की इमारतों, मद्रास के मानचित्र को दर्शाने वाले छापे (प्रिन्ट) मद्रास प्रिन्ट दीर्घा में प्रदर्शित हैं। ये रेखाचित्र विशेष रूप से किले के तथा सामान्य रूप से मद्रास तथा समाप्त हो चुकी इमारतों के वास्तुकला संबंधी इतिहास पर प्रकाश डालते हैं।
•उपरोक्त के अलावा, ब्रिटिश, डचों, पुर्तगालियों और डेनिशों के राज्याध्यक्षीय और एकीकृत टकसालों द्वारा जारी विभिन्न सिक्के, सिक्कों संबंधी दीर्घा में प्रदर्शित हैं।
•आरक्षित संग्रह में अनेक पुरावस्तुएं मौजूद हैं जिनमें रॉबर्ट क्लाइव के विवाह का रिकार्ड रखने वाला सेंट मेरी चर्च का प्रथम विवाह रजिस्टर तथा स्ट्रैनिशैम मास्टर, जिन्होंने चर्च के निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई थी, द्वारा उपयोग की जाने वाली बाइबिल उल्लेखनीय हैं।
समय:सुबह 9:30 से शाम 5 तक
यह शुक्रवार और राष्ट्रीय अवकाश पर बंद रहता है।
प्रवेश शुल्क
भारतीय: 15 रुपये वयस्कों के लिए और 10 रुपये 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए, 5 रुपये छात्रों और शिक्षकों के समूह के लिए जो पूर्व अनुमति लेकर आए हों।
विदेशी: 250 रुपये वयस्कों के लिए और 125 रुपये 3-12 साल के बच्चों के लिए, 75 रुपये छात्रों और शिक्षकों के समूह के लिए जो पूर्व अनुमति लेकर आए हों।
कैमरा शुल्क: 200 रुपये फोटोग्राफी का और 500 रुपये वीडियो कैमरा
कुछ सुझाव:
• यहां व्यवसायिक फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है।
• संग्रहालय में समय समय पर विशेष व्याख्यान और फिल्म शो आयोजित होते हैं।
• कांस्य दीर्घा और नेशनल आर्ट गैलेरी जरुर देखने योग्य है।
• भवन का रखरखाव और व्यवस्था निराशाजनक है।
• राजकीय संग्रहालय के अंदर एक किताब की दुकान भी है जहां सस्ती किताबें उपलब्ध हैं।
क्रोकोडायल बैंक और स्नेक पार्क:
चेन्नई का 'स्नेक पार्क' भी पर्यटकों को प्रभावित करता है। चेन्नै में क्रोकोडायल ( मगरमच्छ ) बैंक और स्नेक( साँप ) पार्क देखने योग्य है। क्रोकोडायल ( मगरमच्छ ) बैंक में विश्व की विभिन्न जातियों के मगरमच्छ है यह अपनी तरह का एक अलग ही पार्क है जिसका निर्माण रोमुलस व्हिटेकर नामक अमेरिकी ने किया था। यह खतरनाक से खतरनाक पाँच सौ से भी ज्यादा भारतीय साँपों का जीवित संग्रहालय कहा जा सकता है। रेंगते हुए ये विषधर भय मिश्रित रोमांच पैदा करते हैं। यहाँ पर साँपों के अलावा सरीसर्प वर्ग के अन्य जीव जैसे मगरमच्छ, घड़ियाल इत्यादि भी रखे गए हैं। चेन्नई महानगर की कलात्मक संस्कृति के दर्शन सहज ही किए जा सकते हैं। यहाँ पर पैंथियान रोड स्थित 'नेशनल आर्ट गैलरी' का होना इसी बात का प्रमाण है।
• यहां व्यवसायिक फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है।
• संग्रहालय में समय समय पर विशेष व्याख्यान और फिल्म शो आयोजित होते हैं।
• कांस्य दीर्घा और नेशनल आर्ट गैलेरी जरुर देखने योग्य है।
• भवन का रखरखाव और व्यवस्था निराशाजनक है।
• राजकीय संग्रहालय के अंदर एक किताब की दुकान भी है जहां सस्ती किताबें उपलब्ध हैं।
क्रोकोडायल बैंक और स्नेक पार्क:
चेन्नई का 'स्नेक पार्क' भी पर्यटकों को प्रभावित करता है। चेन्नै में क्रोकोडायल ( मगरमच्छ ) बैंक और स्नेक( साँप ) पार्क देखने योग्य है। क्रोकोडायल ( मगरमच्छ ) बैंक में विश्व की विभिन्न जातियों के मगरमच्छ है यह अपनी तरह का एक अलग ही पार्क है जिसका निर्माण रोमुलस व्हिटेकर नामक अमेरिकी ने किया था। यह खतरनाक से खतरनाक पाँच सौ से भी ज्यादा भारतीय साँपों का जीवित संग्रहालय कहा जा सकता है। रेंगते हुए ये विषधर भय मिश्रित रोमांच पैदा करते हैं। यहाँ पर साँपों के अलावा सरीसर्प वर्ग के अन्य जीव जैसे मगरमच्छ, घड़ियाल इत्यादि भी रखे गए हैं। चेन्नई महानगर की कलात्मक संस्कृति के दर्शन सहज ही किए जा सकते हैं। यहाँ पर पैंथियान रोड स्थित 'नेशनल आर्ट गैलरी' का होना इसी बात का प्रमाण है।
चेन्नै में नेशनल पार्क के तीन भाग है – बच्चों के लिए चिल्डर्न पार्क, स्नेक ( साँप ) पार्क और तमिलनाङू के वन विभाग का पार्क। स्नेक ( साँप ) पार्क में विश्व की विभिन्न जातियों के साँप है इसके अलावा यहाँ कुछ नक़ली जन्तु भी बनाए गए है जैसे दो साँपों का गले मिलना – साँप मगरमच्छ की लङाई – जो आकर्षक है एक कक्ष में तस्वीरों के साथ विभिन्न जानकारियों से संबंधित बोर्ड लगे है और साथ ही संबंधित वीडियो फिल्में भी दिखाई जाती है। विशेष बात यह है कि दोनों जगह इन जन्तुओं से संबंधित जानकारी तमिल, हिन्दी और अंग्रेज़ी तीनों भाषाओं में है जिससे पर्यटकों को देखने-समझने में सुविधा होती है
कपिलेश्वर मंदिर
चैन्नई का कपिलेश्वर मंदिर बहुत प्राचीन और मायलापुर का एक प्रतिष्ठित मंदिर है। इसकी इमारत का ‘गोपुरम’ द्रविड़ वास्तुकला के मौजूद नमूनों में सबसे अनूठा है। भगवान शिव के इस मंदिर में कुछ बहुत सुंदर मूर्तियां हैं जिसमें 63 शैव संतों की दुर्लभ कांस्य प्रतिमाएं हैं, जो कि मंदिर के आंगन में सजी हैं। इस मंदिर का नाम कपलम और ईश्वरर पर पड़ा है। कपलम का अर्थ होता है सर, जबकि इश्वरर भगवान शिव का दूसरा नाम है। हिंदू पौराणिक कथाओं के जब भगवान ब्राह्मा और भगवान शिव माउंट कैलाश की चोटी पर मिले तो ब्राह्मा भगवान शिव की श्रेष्ठता को पहचान नहीं पाया। इससे कुपित होकर शिव ने ब्राह्मा का सर पकड़कर खींच दिया। अपनी गलती को सुधारने के लिए ब्राह्मा मलयापुर आ गए और यहां उन्होंने शिवलिंग की स्थापना की। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी के आसपास पल्लव राजाओं ने किया था। इस मंदिर की वास्तुशिल्पय बनावट द्रविड शैली से काफी मिलती जुलती है। कहा तो यह भी जाता है कि मूल मंदिर उस स्थान पर बना था जहां आज सैंथोम चर्च बना हुआ है। वर्तमान समय के मंदिर को विजयनगर के राजाओं ने 16वीं शताब्दी में बनवाया था।चेन्नई धार्मिक संस्थाओं के लिए भी जाना जाता है। इनमें से रामकृष्ण मंदिर, कालीकंबल मंदिर, सैंथोम चर्च और कपालीश्वर मंदिर प्रमुख है।
मरीना समुद्र तट
मरीना बंगाल की खाड़ी से लगा भारत का सबसे लंबा शहरी और विश्व का दूसरा सबसे लंबा समुद्र तट है।13 किमी. लंबा यह तट चैन्नई का सबसे प्रमुख आकर्षण है। इस तट पर तैराकी और स्नान प्रतिबंधित है लेकिन यहां पर्यटकों को लुभाने के लिए बहुत आकर्षण हैं। यहां सूर्यास्त और सूर्योदय का नज़ारा बहुत सुंदर होता है। यहां के तट पर खाने के स्टाॅल और दुकानों पर मिलने वाले सामान बहुत मशहूर हैं। यहां टहलने या घोड़े की सवारी करने का आनंद भी लिया जा सकता है।
अपनी अनुपम सौंदर्य के कारण कभी मरीना समुद्र तट पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ करता था। हालांकि अब इसका पानी काफी प्रदुषित हो गया है। साथ ही पर्यटकों के गैरजिम्मेदाराना बर्ताव के कारण यह समुद्री किनारा काफी गंदा भी हो गया है।
हालांकि कई स्वयं सेवक अपने स्तर पर इस समुद्र तट की प्राकृतिक सुंदर को बनाए रखने के लिए हर महीने सफाई का काम करते हैं। इतना ही नहीं, स्वयं सेवक समुद्र तट पर बने एक खास किस्म के कछुए के घौंसले का भी ध्यान रखते हैं।
अपनी अनुपम सौंदर्य के कारण कभी मरीना समुद्र तट पर्यटकों के बीच काफी लोकप्रिय हुआ करता था। हालांकि अब इसका पानी काफी प्रदुषित हो गया है। साथ ही पर्यटकों के गैरजिम्मेदाराना बर्ताव के कारण यह समुद्री किनारा काफी गंदा भी हो गया है।
हालांकि कई स्वयं सेवक अपने स्तर पर इस समुद्र तट की प्राकृतिक सुंदर को बनाए रखने के लिए हर महीने सफाई का काम करते हैं। इतना ही नहीं, स्वयं सेवक समुद्र तट पर बने एक खास किस्म के कछुए के घौंसले का भी ध्यान रखते हैं।
अब यात्रा समापन की तरफ थी... कल हमारी फ्लाइट सुबह १० बजे की ... चेन्नई से वाराणसी... लौट चले होटल... बीच में गाइड ने राज्यपाल का आवास.. (राजभवन चेन्नई भारत के तमिल नाडु राज्य के राज्यपाल का आधिकारिक आवास है ) और तमिलनाडु का एक नामी अन्ना यूनिवर्सिटी, चेन्नई भी दिखाया..
होटल पहुचते शाम के ८ बज चुके थे... रूम में पंहुचा 1 गिलास ठंडा पानी पिया फिर वही सुबह वाला वेटर... रात्त का खान्ना सर.... बोल दिया 1 पनीर की सभ्जी विथ आउट ओनियन गार्लिक और गोभी के ४ पराठे.... ५०० का नोट दिया मुस्कुरा के वापस गया आधे घंटे बाद वो ले कर आया सब्जी और पराठे... सब्जी भी निरिक्षण के बाद पास हो गया की वो बिन प्याज लहसुन का ... तो उस भुजंग भाई को 100 रुपये दिए २ बोतल पानी ठंडा पानी लाने के लिए ले कर आया २ -२ लीटर की दो बोतल और 100 रुपये का बिल फिर का कुछ बचा ही नाही तो 100 का नोट निकाल उसके हाथ में धर उसको बिदा किया... सुबह जल्दी उठाना था तो खाना पीना खा सो गए..
सुबह ५ बजे माता जी उठ मुझे जगाई मै निचे जा २ चाय का आर्डर दिया और चाय पी फटाफट फ्रेश ही नहा धो पैकिंग कर चल पड़े चेन्नई के चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (IATA: MAA, ICAO: VOMM) (तमिल: சென்னை பன்னாட்டு வானூர்தி நிலையம் ), जो मद्रास इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नाम से भी विख्यात है, चेन्नई (मद्रास), भारत के दक्षिण में, तिरूसूलम 7 किमी (4.3 मील) में स्थित है। यह देश के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय प्रवेश द्वारों में से एक है और भारत में तीसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है (दिल्ली और मुंबई के बाद) और एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र, जो 2007 से लगभग 12 करोड़ यात्रियों का संचालन कर रहा है और 25 से अधिक विभिन्न एयरलाइनों को सेवा प्रदान करता है। देश में मुंबई के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा नौभार केंद्र है। यह मीनमबाक्कम और तिरूसूलम के पास स्थित है, जहां यात्री प्रवेश तिरूसूलम में और माल प्रवेश मीनमबाक्कम में होता है।
चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तीन टर्मिनल हैं: मीनमबाक्कम में स्थित सबसे पुराने टर्मिनल का प्रयोगकार्गो के लिए किया जाता है, जबकि तिरूसूलम में यात्रियों के लिए बने नए टर्मिनल भवन का प्रयोग यात्री संचालनों के लिए किया जाता है। यात्री टर्मिनल परिसर में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय टर्मिनल हैं जो एक संयोजक भवन द्वारा परस्पर जुड़े हैं, जिसमें प्रशासनिक कार्यालय और एक रेस्तरां हैं। हालांकि यह परिसर एक अखंड संरचना है, लेकिन इसका निर्माण वर्धमान तौर पर हुआ, जिसमें 1988 के दौरान कामराज और अन्ना टर्मिनल को पहले से मौजूद मीनमबाक्कम टर्मिनल के साथ जोड़ा गया।
होटल पहुचते शाम के ८ बज चुके थे... रूम में पंहुचा 1 गिलास ठंडा पानी पिया फिर वही सुबह वाला वेटर... रात्त का खान्ना सर.... बोल दिया 1 पनीर की सभ्जी विथ आउट ओनियन गार्लिक और गोभी के ४ पराठे.... ५०० का नोट दिया मुस्कुरा के वापस गया आधे घंटे बाद वो ले कर आया सब्जी और पराठे... सब्जी भी निरिक्षण के बाद पास हो गया की वो बिन प्याज लहसुन का ... तो उस भुजंग भाई को 100 रुपये दिए २ बोतल पानी ठंडा पानी लाने के लिए ले कर आया २ -२ लीटर की दो बोतल और 100 रुपये का बिल फिर का कुछ बचा ही नाही तो 100 का नोट निकाल उसके हाथ में धर उसको बिदा किया... सुबह जल्दी उठाना था तो खाना पीना खा सो गए..
सुबह ५ बजे माता जी उठ मुझे जगाई मै निचे जा २ चाय का आर्डर दिया और चाय पी फटाफट फ्रेश ही नहा धो पैकिंग कर चल पड़े चेन्नई के चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (IATA: MAA, ICAO: VOMM) (तमिल: சென்னை பன்னாட்டு வானூர்தி நிலையம் ), जो मद्रास इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नाम से भी विख्यात है, चेन्नई (मद्रास), भारत के दक्षिण में, तिरूसूलम 7 किमी (4.3 मील) में स्थित है। यह देश के सबसे बड़े अंतर्राष्ट्रीय प्रवेश द्वारों में से एक है और भारत में तीसरा सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है (दिल्ली और मुंबई के बाद) और एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र, जो 2007 से लगभग 12 करोड़ यात्रियों का संचालन कर रहा है और 25 से अधिक विभिन्न एयरलाइनों को सेवा प्रदान करता है। देश में मुंबई के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा नौभार केंद्र है। यह मीनमबाक्कम और तिरूसूलम के पास स्थित है, जहां यात्री प्रवेश तिरूसूलम में और माल प्रवेश मीनमबाक्कम में होता है।
चेन्नई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर तीन टर्मिनल हैं: मीनमबाक्कम में स्थित सबसे पुराने टर्मिनल का प्रयोगकार्गो के लिए किया जाता है, जबकि तिरूसूलम में यात्रियों के लिए बने नए टर्मिनल भवन का प्रयोग यात्री संचालनों के लिए किया जाता है। यात्री टर्मिनल परिसर में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय टर्मिनल हैं जो एक संयोजक भवन द्वारा परस्पर जुड़े हैं, जिसमें प्रशासनिक कार्यालय और एक रेस्तरां हैं। हालांकि यह परिसर एक अखंड संरचना है, लेकिन इसका निर्माण वर्धमान तौर पर हुआ, जिसमें 1988 के दौरान कामराज और अन्ना टर्मिनल को पहले से मौजूद मीनमबाक्कम टर्मिनल के साथ जोड़ा गया।
निर्मित पहला हिस्सा था अंतर्राष्ट्रीय टर्मिनल, जिसमें दो एयरोब्रिड्ज (जेटवेज़) थे, जिसके बाद में तीन एयरोब्रिड्ज के साथ एक घरेलू टर्मिनल बनाया गया। घरेलू टर्मिनल का निर्माण कार्य पूरा होने के बाद मीनमबाक्कम के पुराने टर्मिनल का इस्तेमाल विशेष रूप से कार्गो के लिए किया गया। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय टर्मिनल को दक्षिण की ओर विस्तृत किया गया और एक नए ब्लॉक को जोड़ा गया, जिसमें तीन एयरोब्रिड्ज शामिल हैं। इस समय, नए अंतर्राष्ट्रीय खंड का प्रयोग प्रस्थान के लिए और पुराने भवन का प्रयोग आगमन के लिए किया जाता है।
कामराज घरेलू टर्मिनल (KDT) से घरेलू उड़ानों को संचालित किया जाता है, जबकि अन्ना अंतर्राष्ट्रीय टर्मिनल (AIT) अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों के लिए है। मीनमबाक्कम पर स्थित पुराने टर्मिनल का इस्तेमाल कार्गो ऑपरेशन के लिए किया जाता है।
निर्धारित समय १० बजे हम उड़ चले चेन्नई से दिल्ही के लिए जहा हम १२.२० पर पहुचे... वहा नास्ता कर ३.१५ की अगली फ्लाइट बनारस की...५ बजे हम पहुच ही गए वाराणसी.... इस तरह ख़तम हुई हमारी यात्रा “ माता जी की तीर्थ यात्रा भाग -२ ....
नमस्ते....
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