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Saturday, May 9, 2015

मुंबई-दिल्ली-वाराणसी

 ९ मई २०१५ (शनिवार ) -अब यात्रा समाप्ति और घर वापसी 

अब मुंबई के बाद दिल्ली के बारी थी, मन में एक सपना था.. माता जी को भारत के बेहतरीन तस्वीर दिखाई जाय इस लिए माता जी के लिए मुंबई से दिल्ली के लिए एयर इंडिया के विमान 809 जो मुंबई राची वाया दिल्ली से यात्रा का प्रोग्राम बनाया था,घर से एअरपोर्ट के लिए मुंबई में "सवारी" नामक कंपनी है तो स्थानिय स्तर पर टैक्सी उपलब्ध कराती है तो मुंबई एअरपोर्ट जाने के लिए और दिल्ली में
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Thursday, May 7, 2015

मुंबई दर्शन

मुम्बई दर्शन (मुम्बई भ्रमण) ८ मई २०१५- शुक्रवार ..(टैक्सी के द्वारा) 

आज का प्रोग्राम था मुम्बई दर्शन तो सुबह ही नहा धो कर तैयार हो गए और १० बजे टैक्सी आने वाली थी खैर पूरा मुंबई घुमने का सोच रखा था लेकिन माता जी के लिए पहले सिद्धि- विनायक मंदिर और मुम्बा देवी था, तो हम माता जी के ले मामा जी और मामी जी के साथ चल पड़े मुंबई दर्शन के लिए हमारी टैक्सी निकल पड़ी भयंदर से मुंबई सेंट्रल वाया.

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Wednesday, May 6, 2015

मुंबई दर्शन

(६ मई २०१५- बुधवार, यात्रा का नौवा दिन)
आज नौ दिन सिर्फ अम्मा के साथ, शायद अपने होसो हवास में ४२ साल की इस उम्र में पहली बार, जो इतना समय बिताया माँ के संग, मन उदास हो चूका था की अब ये यात्रा ख़त्म होने के कगार पर, मेरी हालत ऐसे ही, जैसे किसी मुजरिम को फासी की सजा.. कैसे बीत गया ये नौ दिन, मै अपने को तो एकदम बच्चा ही समझ रहा था क्यों की माँ थी न मेरे पास, खैर अब तो चलना ही था, तो अम्मा को ले चल पड़े द्वारका स्टेशन, अगली ट्रेन जो थी मुंबई की .. उदास मन आज लगा की भगवान भी कोई चीज है.. 
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Tuesday, May 5, 2015

द्वारकाधीश मंदिर

(५ मई २०१५-मंगलवार, तीर्थ यात्रा का आठवा दिन) : यह पवित्र नगरी कई मायनों में अति महत्त्वपूर्ण है जैसे हिन्दू धर्म के मुख्य चार धामों में से एक, हिन्दू पुराणों के अनुसार सप्त मोक्षदायिनी पुरियों में से एक तथा आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित चारों दिशाओं में स्थापित मठों में से एक श्री शारदा मठ यहीं पर स्थित है. यह नगर भगवान श्री विष्णु के १०८ दिव्य देसम में से भी एक है. हिन्दू पुराणों के अनुसार द्वारका सात मोक्षदायी तथा अति पवित्र नगरों में से एक है. गरुड़ पुराण के अनुसार- 

अयोध्या,मथुरा, माया, कासी, कांची अवंतिका,
पूरी, द्वारावती चैव सप्तयिता मोक्षदायिकाः

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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

(५ मई २०१५-मंगलवार, तीर्थ यात्रा का आठवा दिन) ४ मई शाम को चल दिए सोमनाथ - द्वारका ट्रेन # 19251 SMNH OKHA EXP दुरी 408 किलो मीटर, रात में माता जी खाना खा कर सो चुकी थी.. तो हम भी गूगल बाबा के मदत से समझने लगे क्या है.. द्वारिका 
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Monday, May 4, 2015

सोमनाथ मंदिर

सोमनाथ मंदिर, प्रभास पतन, वेरावल, सौराष्ट्र, गुजरात

(४ मई २०१५-सोमवार, तीर्थ यात्रा का सातवा दिन) निर्धारित समय रात के १० बजे अहमदाबाद से हमारी ट्रेन खुल चुकी थी... ट्रेन में हमारा बोगी भी करीब खाली ही था, बोगी तो हमारी वतानुकिलित थी लेकिन गर्मी का एहसास ही था , १० बजे खाना खा लिया, माता जी बिस्तर पर, नींद नहीं आ रही थी.. तो लगे वेद पुराणों के बारे में चर्चा करने.. बात करते करते रात का १ बज गया ... फिर सो ही गए.. सुबह माता जी ने जगाया देखा सोमनाथ आ गयल.. "अम्मा हम लोग से वेरावल उतरे के हव .. उठ.. पाहिले कहा पहुचल ट्रेन, पूछ ताछ करने पर पता चला की अभी ट्रेन वेरावल से एक स्टेशन पहले "चोर्वाद रोड" क्रास की है करीब ६.३० तक पहुच जाएगी .. बोगी पूरी ही खाली हो चुकी थी, १५ मिनट का समय बाकी था तो सामान ले गेट पर आ गए.. २० मिनट बाद ६.४० पर हम पहुच ही गए वेरावल स्टेशन .. कोई कुली भी नहीं था वहा तो सारा सामान उठाकर प्लेटफोर्म ब्रिज क्रॉस कर के बाहर निकले
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Sunday, May 3, 2015

अहमदाबाद

(३ मई २०१५ ) २ मई की शाम पूना से अहमदाबाद रात्रि ९ बजे की Train No : 12298, दुरी ६६५ किलो मीटर,
अहमदाबाद यानी गुजरात की राजधानी। भीड़ भाड़ वाला अतिव्यस्त शहर. ३ मई की सुबह 0६:१५ पर अहमदाबाद पहुच ही गए, मुख्य रेलवे स्टेशन अहमदाबाद जंक्शन को यहां लोग कालूपुरा भी कहते हैं, जैसे बनारस के मुख्य स्टेशन को कैंट कहा जाता है।
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फोटो गैलरी

फोटो गैलरी  

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Saturday, May 2, 2015

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

२ मई २०१५ -शनिवार, तीर्थ यात्रा का छटवा दिन
औरंगाबाद-श्री भीमशंकर
तो सुबह ५ बजे हम ही उठ गए.. क्यों की आज की यात्रा लम्बी थी औरंगाबाद से भीमा शंकर, सुबह ९ बजे भीमशंकर के लिए प्रस्थान करना था, क्यों की दुरी–२८५ किलो मीटर थी, अम्मा अभी सो रही थी, क्यों की कल की औरंगाबाद की यात्रा से थक चुकी थी, सुबह ही २ चाय बोल दिया, और कमरे के बाहर एक सिगरेट जला कर टहलने लगा, २० मिनट के बाद चाय भी आ गया कमरे में, ६ बज चूका था, तो अम्मा को जगाया, ब्रश कर अम्मा चाय पि.. गयी बाथरूम तो मै लग गया अपने सामान की पैकिंग में, क्यों की ६ दिन का कपडा धुलवा दिया था, तो उसकी पैकिंग, तब तक अम्मा नहा धो के रेडी.. फिर हम भी तैयार हो लिए नहा धो कर, अम्मा भी अपना पूजा पाठ कर सामान पैक कर चुकी थी.. वैसे भीमा शंकर में पूजा का समय ३ बजे से ५ बजे तक सोच रखा था बिना भीमा शंकर के पूजा के अम्मा कुछ खाती नहीं तो, बाहर जा कर महारास्ट्र का प्रसिद्ध श्रीखंड ले लिया, कब तक अम्मा भूखे रहती भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र के भोरगिरि गांव, जो की खेड़ तालुका से ५० कि.मि. उत्तर-पश्चिम तथा पुणे से ११० कि.मी. में स्थित है। यह पश्चिमी घाट के सह्याद्रि पर्वत पर ३२५० फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहीं से भीमा नदी भी निकलती है जो की दक्षिण पश्चिम दिशा में बहती हुई आंध्रप्रदेश के रायचूर जिले में कृष्णा नदी से जा मिलती है। यहां भगवान शिव के भारत में पाए जाने वाले बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है, तब तो यात्रा में ४ से ५ घंटे तो लगना ही था, अब ९.२० पर अपनी टैक्सी भी आ गयी, तो टैक्सी में सामान रख होटल से बिदा लिए और अपनी टैक्सी से चल पड़े माता जी को ले भीमा शंकर के दर्शन के लिए हमारा मार्ग था औरंगाबाद-मंचर-शिनोली-घोडगांव होते हुवे भीमा शंकर के लिए
   
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Friday, May 1, 2015

औरंगाबाद दर्शन

(१ मई २०१५) अब आगे की यात्रा में हम पहुचे एलोरा की विश्वप्रसिद्ध गुफाओ के देखने.घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से कुछ ५०० मीटर की दुरी पर एलोरा की गुफाएं स्थित हैं. यूनेस्को विश्व विरासत स्थल (Unesco World Heritage Site) का दर्जा प्राप्त है. वस्तुतः ये गुफा मंदिरों का एक समूह है जिसमें हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्मों के मन्दिर तथा मूर्तियाँ स्थित हैं.एलोरा में कुल ३४ गुफाएं हैं जिनमें से क्रमांक १ से १२ गुफाएं बौद्ध धर्म की हैं, अगली १६ गुफाएं हिन्दू धर्म से सम्बन्धित हैं तथा क्रमांक ३० से ३४ गुफाएं जैन धर्म का प्रतिनिधित्व करती हैं. ये गुफाएं ५०० -७०० ए.डी. में राष्ट्रकूट राजाओं ने बनवाई थीं.

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घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन

१ मई २०१५ (शुक्रवार), तीर्थ यात्रा का पाचवा दिन

औरंगाबाद- श्री घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग (२५ किलो मीटर) 

*छोटे भ्राता संजीव के जन्मदिन की विशेस पूजा श्री घुश्मेश्वर में

*दर्शन पूजा का समय सुबह ९ बजे से १२ बजे तक

*२-५ बजे तक अजंता एलोरा गुफा घूमघाम

तो हम लोग भी ८ बजे नहा धो कर निचे उतर गए थे टैक्सी के इंतजार में मैनेजर ने सलाह दी की घ्रश्नेश्वर, परली वैजनाथ और औंढा नागनाथ यह तीनों ज्योतिर्लिंग क्षेत्र एक ही मार्ग में होने के कारण एक साथ ही इन तीनों क्षेतों कि यात्रा कि जा सकती है लेकिन ये प्लान में नहीं था ..खैर १५ मिनट बाद टैक्सी भी आ गयी तो चल पड़े माता जी को ले औरंगाबाद के ही समीप स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर तथा एलोरा की प्रसिद्द गुफाओं के दर्शन कराने के लिए वैसे औरंगाबाद बस स्टेंड से वेरुल के लिए भारी मात्र में एस. टी. बसें उपलब्ध हैं. औरंगाबाद में मध्यवर्ती बस स्थानक से वेरुल ट्रिप (घ्रश्नेश्वर, एलोरा, दौलताबाद, खुलताबाद, भद्र मारुती, पैठन दर्शन ) के लिए सुबह ७.३० से प्रारंभ होने वाली बस कि सुविधा गाइड के साथ उपलब्ध है जो कि शाम ५ बजे वापस लौटती है.

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