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कड़ाके कि ठण्ड है .. फिर भी रोज सुबह ठन्डे पानी से नहाना है..
जिंदगी भी संस्करों कि पहेली हो गयी है .. ये तो वही हाल हो गया है..
दस्त हो रही है.. पेट ख़राब है
फिर भी शंख बजाना है ;)
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राजीव शंकर मिश्रा "बनारस वाले"
Saturday, January 18, 2014
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