post:


Saturday, August 8, 2015

काग चेष्टा, बको ध्यानम

बच्चों को सिखाया जाता है - काग चेष्टा, बको ध्यानम... मतलब ध्यान और लक्ष्य हमेशा केंद्रित.

""काक चेष्टा वको ध्यानम्,
श्वान निद्रा तथैव च,
अल्पहारी ,गृह त्यागी , विद्यार्थी पंच लक्षणम""

मतलब कि
काक चेष्टा ,
(कौऐ की तरह चेष्टा रखने वाला चतुर)

वको ध्यानम
(बगुले की तरह ध्यान रखने वाला)

श्वान निद्रा तथैव च
(कुत्ते की तरह झट से उखड जाने वाली नीँद)

अल्पहारी
(कम भोगविलासी,कम आहार लेने वाला)

गृह त्यागी ,
(भौतिक सँसाधनो से दूरी रखने वाला)

विद्यार्थीनम पंच लक्षणम् ॥
(ये एक सच्चे और अच्छे विद्यार्थी के पाँच लक्षण है)

लेकिन आज के विद्यार्थी के यही पाँच लक्षण कैसे है

""कन्या चेष्टा,
लुक ध्यानम,
कुम्भकरण निद्रा तथैव च
पीकर हावी .
ठेके वासी
आज के विद्यार्थीनम पँच लक्षणम"
.
.
.


ठीक इसके विपरीत नेताजी लोग करते हैं . अगर मुद्दा होगा महंगाई का तो बयानबाजी करेंगे दंगों का. पास करना होगा लैंड बिल तो बहस करेंगे आंबेडकर और पटेल पर. शिक्षा सबसे जरूरी है लेकिन बात पारा-शिक्षक और मिड-डे मिल से आगे बढ़ा ही नहीं पाते.

नेताजी लोग ध्यान दें. बच्चे देश का भविष्य हैं, चाचा नेहरू ने कहा था. अपनी न सही, चाचाजी के ही खातिर जुबान पर लगाम लगाएं. गर्दन, छाती, कमर, हाथ, उंगली, चड्डी तक तो आप पहुंच ही चुके हैं. कृपया कर इसके नीचे न जाएं. बच्चे भी आज-कल सब समझते हैं कि चड्डी के आगे या नीचे क्या...

आज की स्थित यह है की नेताओं मे विश्वास का संकट पैदा हो गया है, बकोध्यानम केवल चोरी, भ्रष्टाचार, अनरगल अलाप,महगाई पर ही टिका है। जाती धर्म और समीकरणों का जोड़ तोड़ जनता के सामने चलता रहता है और वह सब कुछ देखती रहती है झूठ ज़ोर ज़ोर से बोले जा रहे हैं ताकि वे सच लगने लगें, दूसरों के किए को मिटाने और अपने खाते मे दूसरों के कामो की फेहरिस्त दर्ज करके वाहवही लूटते रहते हैं ऐसी तरकीबें आपको अंजाम से नहीं बचा सकती हैं ।

रावण ने हर तरह की तरक्की कर ली तो उसका मन हुआ की कोई उसकी इस उपलब्धियों को सराहे। रावण ने अनुनय विनय कर के एक मुनि को राजी कर लिया , मुनि ने महल से लेकर विज्ञानशाला, अस्त्रशाला , चिकित्सा शाला आदि देखने के बाद कहा की तुम्हारे यंहा बड़ी तरक्की हुई है लेकिन यह सब कुछ नष्ट हो जाने वाला है , रावण ने आश्चर्य से पूंछा क्यूँ मुनिवर? मुनि का उत्तर था क्यूं की तुम्हारे यंहा “आचरणशाला” नहीं है । 
क्या यही मेरी नियति है कि हर बार किसी न किसी रूप में कोई क्षण मेरे इतनी नजदीक आता है कुछ कहना चाहता. ..... मैंने इसी दृश्य को अपने भीतर उतारा और बाहर आ उसी सधाव से लय से पुनः चन्द्रमा को मेरे सिर के ऊपर थोड़ा सा ऊपर रख दिया… ... तुमने मेरे घर का पता तो सही ही दिया ना उसे ? ... एक दोपहर जिसके आगे पीछे रात कोई सहारा न था मैंने अपनी सबसे प्रिय चीज तय करनी शुरू की…

अब तो यही गाते रहना पड़ेगा अपने आगे ना पीछे ,, न कोई ऊपर नीचे ,

रोने वाला ,, न कोई रोने वाली ,,,, जनाबे आली


Share This :

13 comments:

  1. मोदी जी जिंदाबाद।
    जय श्री राम

    ReplyDelete
  2. मोदी जी के विचारों में दूरदर्शिता है।

    ReplyDelete
  3. Modi ji ko mere khun ka ek ek katra samarpit hi jai jai modi har har modi

    ReplyDelete
  4. रे रंडी का नाजयज औलाद मोदी का फोटो काहे लगाया रे।

    ReplyDelete
  5. मोदी हैं तो मुमकिन हैं।

    ReplyDelete
  6. राजीव जी यदि आप वाजिव लिखते तो मोदी जी जुमला फ़ोटो न देकर राहुल का आंख मारी फ़ोटो देते, लगता है आप बिकाऊ हैं। जनादेश का आदर करना सीखें।

    ReplyDelete
  7. इन्सान से इन्सान को तोड़ने का काम मत करो, जंगल की सुखी घास में लगी आग की तरह,हम है अमन के पुजारी,सता का रोभ न दिखाओ जालिम तानाशाह की तरह।

    ReplyDelete
  8. Modi hai to mumkin hai jaytu Bharat modi ji ke karan China Ko pata chala ki Bharat kucch bhi kar sakta hai

    ReplyDelete